पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को निर्मूल करने का प्रयास राजनीतिक अत्याचार: राजेश
- पंचायत चुनाव में आरक्षण की वैधानिकता एवं चुनौतियां विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन
रांची। राज्य सरकार द्वारा पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को निर्मूल करने का प्रयास निहायत ही इस वर्ग के साथ सामाजिक और राजनीतिक अत्याचार है। लोकतंत्र का प्राण प्रतिनिधित्व में ही होता है। इसलिए झारखंड सरकार ध्यान केंद्रित करते हुए हर वर्ग की वास्तविक जनसंख्या का अनुपात में समाज की सभी व्यवस्था में उनका आरक्षण (प्रतिनिधित्व) सुनिश्चित करते हुए पंचायती राज व्यवस्था के चुनाव में भी ओबीसी का आरक्षण सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उक्त बातें राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार गुप्ता ने हरमू स्थित सागर कुंज में पंचायत चुनाव में आरक्षण की वैधानिकता एवं चुनौतियां विषय पर आयोजित एक दिवसीय विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि हमारा लोकतंत्र इस बुनियादी धारणा पर आधारित है कि शासन के प्रत्येक स्तर पर जनता अधिक से अधिक शासन कार्यों में हाथ बढ़ाएं और अपने ऊपर शासन करने का उत्तरदायित्व स्वयं प्राप्त करें। विकेंद्रित संस्थाओं के माध्यम से उनके आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए योजना बनाने और उसके प्रतिपादन करने का प्रथम सीढ़ी पंचायती राज है। इससे स्पष्ट होता है कि जिस वर्ग का विकास करना है उस वर्ग का प्रतिनिधित्व उस विधायी संस्थाओं में होना चाहिए।
नगर निगम पार्षद ओम प्रकाश ने कहा की लोकतंत्र के प्रथम कड़ी पंचायती राज व्यवस्था है जो जनता से पंचायत प्रतिनिधि को जोड़ता है पंचायत चुनाव में ओबीसी समुदाय का आरक्षण समाप्त करना 52 प्रतिशत ओबीसी समुदाय का अस्तित्व मिटाने जैसा है।
पार्षद प्रीति रंजन ने कहा कि आज भी लोकतंत्र के सभी स्तंभों में महिलाओं की संख्या काफी कम है अब सरकार के द्वारा ओबीसी समुदाय को पंचायत चुनाव में आरक्षण समाप्त कर दिए जाने से महिलाओं का भी प्रतिनिधित्व घट जाएगा। जिससे महिलाओं का समाजिक राजनैतिक शैक्षणिक और आर्थिक विकास ठहर जाएगा।
विचार गोष्ठी में पार्षद अर्जुन राम, उपाध्यक्ष सुधीर प्रसाद, गोपाल चौरसिया, अजीत कुमार, रमेश सोनी, विजय चौधरी, रंजन राय, राजेश चौरसिया ने अपना विचार रखा।