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कृषि काला कानून के खिलाफ निकला किसान जागरण जत्था

जगह जगह हुई नूक्कड़ सभाएं, 6 से 20 तक चलेगा जनजागृति

कोडरमा। मोदी सरकार की तीन कृषि कानून के खिलाफ देशभर मे चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में किसान संगठनों के देशव्यापी 6 से 20 जनवरी तक देश जागृति करने के आह्वान पर किसान संघर्ष मोर्चा के बैनर तले किसानों व ग्रामीणों को जगाने के लिए पहले चरण में तीन दिवसीय किसान जागरण जत्था निकाला गया। कार्यक्रम के पहले दिन चंदवारा प्रखंड के चंदवारा बाजार, भोण्डो चैक, उर्मा मोड़ और तिलैया डैम साप्ताहिक बाजार में प्रचार अभियान चलाकर केंद्र सरकार की कॉरपोरेट पक्षिय तीन कृषि कानून का किसानों पर होने वाले दुस्प्रभाव के बारे में बताया गया और पर्चा वितरित किया गया। जगह जगह हुई नुक्कड़ सभाओं को सीटू नेता संजय पासवान, जिप सदस्य महादेव राम, किसान सभा के असीम सरकार, सिविल के उदय द्विवेदी, चरणजीत सिंह, युवा नेता सईद नसीम, दामोदर यादव, प्रकाश अम्बेडकर आदि ने सम्बोधित किया।

कृषि कानून किसानों के लिए मौत का फरमान: संजय पासवान

वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार के द्वारा लाया गया कृषि कानून किसान के लिए मौत का फरमान है। डेढ़ माह से दिल्ली के सभी बॉर्डरों पर लाखों किसान सड़कों पर हैं। कड़कड़ाती ठंढ में भी वे डटे हुए हैं। जहां अब तक 55 किसान शहीद हो गये हैं, लेकिन सरकार इनकी आवाज को अनसुनी कर रही है। आजादी के बाद यह पहला मौका है, जब छोटे-बड़े लगभग 500 किसान संगठन एक साथ आयें हैं और कृषि कानून के खिलाफ एकजुट हैं। केंद्र सरकार अडाणी और अंबानी जैसे बड़े उद्योगपतियों के निर्देश पर काम कर रही है, क्योंकि इन कानूनों के सारे फायदे कॉरपोरेट को ही मिलेंगे। उन लोगों ने हजारों एकड़ जमीनें खरीदने के साथ गोदाम बनाने शुरू कर दिये हैं। यही वजह है कि सरकार इन कानूनों को रद्द करना नहीं चाहती। 70 सालों से चल रहे 44 श्रम कानूनों को एक झटके में समाप्त कर दिया और मजदूरों का हक छीन लिया। कहा कि किसान विरोधी तीनों कृषि कानूनों को रद्द करना ही किसानों के हित में होगा। कानून वापस होने तक किसानों का संघर्ष जारी रहेगा।

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