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अधिकारियों व नेताओं के आश्वासन के बाद भी नहीं बदली लक्ष्मीबथान की तस्वीर

  • मूलभुत सुविधाओं से आज भी वंचित है ग्रामीण
  • दो साल पूर्व गर्भवती सुरजी मरांडी की खटीया से टांग कर अस्पताल ले जाने के क्रम में हो गई थी मौत


गिरिडीह। तिसरी प्रखंड के लक्ष्मीबथान गांव की हालात सुर्खियों में आने व जिला से राज्य स्तर के अधिकारी तथा नेता द्वारा भरोसा दिलाने के भी मूलभुत समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। तिसरी मुख्यालय से 35 किमी व गांवा से सात किमी दूर बसे लक्ष्मीबथान के लोग आजादी के 75 साल बाद भी विकास से कोसो दूर है। गांव में पीने का पानी, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे सुविधा से वंचित है। अधिकारियों व नेताओं के आश्वासन के बाद ग्रामीणो को लगा था कि अब सारे दुःख दर्द सुरजी मरांडी की मौत के बाद दूर हो जाएगी।

ग्रामीणो के अनुसार गांव तक सड़क नही होने का दर्द सबसे बड़ा है। सड़क नही बनना गांव के लिये अभिशाप है। जिसके कारण आवागमन में भारी परेशानी होती है। बरसात के समय तो टापू की जिंदगी जीने को मजबूर हो जाते है। गांव में यदि कोई बीमार पड़ जाये तो चार कंधा के बिना जाना संभव नही है। पगडंडी व पत्थरीला रास्ता होकर जाना पड़ता है। एम्बुलेंस तो दूर बाइक गांव जाने के लिये चालक कतराते है। लिहाजा गांव में एक भी चापाकल नही है। नदी नाला में चुंवा खोद कर ग्रामीण प्यास बुझाते है। गांव में विद्यालय है, लेकिन सड़क नही रहने से शिक्षक भी नदारद रहना मजबूरी है।

बता दे कि लक्ष्मीबथान गांव में दो वर्ष पहले गर्भवती महिला सुरजी मरांडी की खटीया से टांग कर अस्पताल ले जाने के दौरान मौत हो गई थी। जिसकी खबर के बाद जिला प्रशासन काफी सख्त हुए। गांव के विकास के लिये गांव तक प्रखंड से जिला के अधिकारी, स्थानीय विधायक भी पहुंचे, लेकिन गांव को देखने के बाद लगता है कि गांव की दशा आज भी वही है।

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