बचपन बचाओ आंदोलन और बाल संरक्षण का एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न
- दिल्ली से आएं प्रशिक्षकों ने कहा कि अधिकारी हर माह एक बार फैक्ट्री का ले जायजा
- डीसी समेत जिले के कई अधिकारी हुए शामिल
गिरिडीह। बचपन बचाओ आंदोलन और बाल संरक्षण के तहत गिरिडीह के न्यू समाहरणालय भवन के सभाकक्ष में शनिवार को एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। एक दिवसीय ट्रेनिंग में डीसी नमन प्रियेश लकड़ा के साथ डीएसपी संजय राणा और बीएमजी के वरीय निर्देशक ओम प्रकाश पाल, प्रशिक्षण के परियोजना संमवयक कविता सुरभि, प्रशिक्षण की सहायक निर्देशक संगीता गौर और बाल संरक्षण स्पेशलिस्ट प्रीति श्रीवास्तव, स्टडी रिसर्च डॉक्टर श्यामला समेत जिले के कई पुलिस अधिकारी शामिल हुए।
मौके पर संगीता गौर ने बच्चो को मिले मौलिक अधिकार की पूरी जानकारी अधिकारियों को देते हुए कहा कि 14 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी प्रकार का काम कराना भी कानूनी जुर्म है। क्योंकि बचपन बचाओ आंदोलन का मकसद भी यही है की एक एक बच्चे का उसका मौलिक अधिकार हासिल हो सके।

इस दौरान प्रीति श्रीवास्तव ने मौजूद अधिकारियों को बाल संरक्षण की जानकारी देते हुए कहा की हर माह एक बार हर वैसे फैक्ट्री की जांच होनी जरूरी है जहां लगता है की बच्चों से किसी तरह का उत्पादन कराया जा रहा है। वैसे भी उत्पादन किए जाने वाले किसी फैक्ट्री में बच्चो से काम कराने का कोई कानून नहीं है, इसके बाद भी कराया जा रहा है तो ये जुर्म है। प्रीति श्रीवास्तव ने यह भी बताया की 14 साल से अधिक उम्र के किशोर से अगर काम कराया भी जाता है तो उसके लिए कई कड़े नियम है। जिसमंे पहला की उस किशोर के लिए काम करने वाले स्थान पर हर सुविधा उपलब्ध हो। इसमें शिक्षा बेहद जरूरी है। वहीं दूसरा की बच्चो के लिए साफ टॉयलेट की व्यस्था हो। चार घंटे तक चले ट्रेनिंग के दौरान जिले के अधिकारियो को कई और जानकारी दिया गया।
कार्यशाला में जिला समाज कल्याण अधिकारी अलका हेंब्रम, सदर एसडीपीओ अनिल सिंह, एसडीपीओ मुकेश महतो, नीति आयोग की सदस्य अंजली कुमारी समेत कई बीडीओ और अंचल अधिकारी शामिल हुए।