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कई गड़बड़ियों और लापरवाही के बीच चल रहा है मकतपुर-अरगाघाट के घनी आबादी में पानी टंकी फैक्ट्री, कार्रवाई की अनुशंसा कर डीसी को सौंपा गया जांच रिपोर्ट

सीटीओ में 1700 तो अनाधिकृत रुप से 10 हजार वर्गफीट में संचालित है पानी टंकी फैक्ट्री

जांच टीम ने सीटीओ देने के लिए प्रदुषण बोर्ड का भी माना बड़ा लापरवाही

सदर एसडीएम ने डीसी को सौपें जांच रिपोर्ट के साथ शिफ्ट करने का की अनुशंसा

सेक्शन-133 के तहत टीम के पदाधिकारी ने किया कार्रवाई की अनुशंसा

मनोज कुमार पिंटूः गिरिडीहः
शहर के मकतपुर-अरगाघाट रोड स्थित पानी टंकी प्लांट डायनेमिक फैक्ट्री में ब्लास्ट की घटना के एक माह बाद जांच पूरा कर लिया गया। जांच रिपोर्ट डीसी राहुल सिन्हा और सदर एसडीएम प्रेरणा दीक्षित को टीम में शामिल अधिकारियों ने सौपनें की बात कही जा रही है। रिपोर्ट सौपेें करीब 10 दिनों से अधिक का वक्त बीत चुका है। लिहाजा, सवाल उठता है कि घटना के बाद जब वरीय अधिकारियों के निर्देश पर जांच किया गया। और रिपोर्ट सौपें 10 दिन का वक्त बीत चुका है। तो अब दोषी फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ स्थानीय प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई क्यों नहीं किया गया। इधर टीम में शामिल अधिकारी कार्यपालक दडांधिकारी धीरेन्द्र कुमार ने जहां कई गड़बड़ियों के बीच घनी आबादी इलाके में पानी टंकी फैक्ट्री चलाने का आरोप लगाकर सीआरपीसी की धारा-133 के तहत कार्रवाई का अनुशंसा किया है। तो प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो सदर एसडीएम ने भी मकतपुर-अरगाघाट रोड में घनी आबादी के बीच से फैक्ट्री को सूनसान इलाके में शिफ्ट करने की अनुशंसा कर डीसी को जांच टीम का रिपोर्ट सौंपी है। प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो जांच टीम में शामिल कार्यपालक दडांधिकारी धीरेन्द्र कुमार और फैक्ट्री निरीक्षक गोपाल कुमार ने रिपोर्ट में पहले प्रदुषण बोर्ड को सीटीओ देने के प्रति लापरवाह और जिम्मेवार बताया। तो जांच टीम के पदाधिकारियों ने फैक्ट्री प्रबंधन का सबसे बड़ा लापरवाही मानते हुए। कई बिदंुओ पर सवाल खड़े किए है।


जानकारी के अनुसार जांच टीम ने जहां जांच के दौरान प्रदुषण बोर्ड द्वारा दिए सीटीओ में 1700 वर्गफीट में प्लांट संचालन की स्वीकृति देने का जिक्र किया है। तो दुसरी तरफ अधिकारियों द्वारा सौंपे गए जांच रिपोर्ट में फैक्ट्री प्रबंधन को गलत तरीके से 10 हजार वर्गफीट की घेराबंदी कर प्लांट चलाने का आरोप लगाया है। यही नही जांच रिपोर्ट में अधिकारियों ने घनी आबादी इलाके में खुले तौर पर विष्फोटक पद्धार्थ गैस सिलेंडर को रखने और सिलेंडर का इस्तेमाल कर प्लांट चलाने का जिक्र करते हुए कहा कि जिस प्रकार विष्फोटक पद्धार्थ रखा गया है। उसे किसी बड़े घटना से इंकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि पूरा इलाका घनी आबादी वाला है। जांच रिपोर्ट में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के बगैर फैक्ट्री चलाने का आरोप है। तो हर रोज 17 से 20 टंकी उत्पादन करने पर सीटीओ की स्वीकृति मिलने की बात कही गई। तो फैक्ट्री प्रबंधन इस मामले में भी सीटीओ के नियमों का उल्लघंन कर हर रोज 150 सौ पानी टंकी उत्पादन कर रहा है। पूरे फैक्ट्री में प्रबंधन द्वारा वृक्षारोपण नहीं किए जाने का जिक्र भी जांच रिपोर्ट में किया गया है। बहरहाल, इतने गड़बड़ी और लापरवाही के बीच शहर के बीचों-बीच संचालित फैक्ट्री में घटना होना व उसकी जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई की अनुशंसा के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने को लेकर प्रशासन भी सवालों के घेरे में है।

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