हार के बाद भी चर्चा में हैं निर्दलीय प्रत्याशी टाईगर जयराम महतो
- करीब साढ़े तीन लाख वोट लाकर उड़ाई सभी दलों की नींद, झामुमो व आजसू के गढ़ में रहे आगे
- विधानसभा चुनाव में भाजपा, झामुमो व आजसू के लिए साबित होंगे चुनौती
- कभी झामुमो व आजसू झारखंडी अस्मिता की किया करते थे बात, आज जयराम महतो है मुखर
रिंकेश कुमार
गिरिडीह। लोकसभा चुनाव में गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे प्रत्याशियों ने एक से बढ़कर एक दावे किए, पर इन सबके बीच एक 30 साल के युवा प्रत्याशी ने चुनाव प्रचार के दौरान न सिर्फ अपना लोहा मनवाया बल्कि चुनावी दौरे के दौरान कही बातों पर भी खरा उतरा है। जी हां हम बात कर रहे है स्थानीयता की नीति और स्थानीय भाषा के सवालों को लेकर आवाज बुलंद करते हुए महज दो साल पूर्व झारखंड की राजनीति में कदम रखने वाले जयराम महतो की। चुनाव प्रचार के दौरान जयराम ने शायराना अंदाज़ में कहा था कि चुनाव में हार भी गए तो श्ऐ गालिब शहर की गलियों में, गांव की पगडंडियों में तुम्हारी जीत से ज्यादा चर्चे हमारी हार के होंगे……..।
सही मायने में देखा जाये तो वाकई में मंगलवार को भले ही करीब एक लाख वोट से एनडीए प्रत्याशी आजसू के चन्द्र प्रकाश चौधरी जीत गए हों, पर मतगणना शुरू होने से लेकर समाप्त होने तक और उसके बाद भी पूरे लोकसभा में करीब साढ़े तीन लाख वोट लाने वाले युवा नेता जयराम महतो के ही चर्चे हो रहे हैं। लोगों की जुबां पर अगर किसी का नाम था तो सिर्फ जयराम महतो का।
महज दो साल की राजनीति में न सिर्फ तीन लाख 47 हजार 322 वोट लाकर जेबीकेएसएस के अध्यक्ष जयराम महतो ने एक मजबूत प्रत्याशी के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, बल्कि लोकसभा क्षेत्र के 6 विधानसभाओं में से दो विधानसभाओं, डुमरी और गोमिया में लीड भी हासिल की है। वहीं बेरमो और टुंडी में एनडीए और इंडी गठबंधन के प्रत्याशी को जबरदस्त टक्कर दी है। यहां तक कि पोस्टल वोट की अगर बात करें तो उसमें भी जयराम महतो को ही सबसे अधिक मत प्राप्त हुए हैं। सांसद सीपी चौधरी ने गिरिडीह, बेरमो और बाघमारा से लीड हासिल की। वहीं मथुरा महतो सिर्फ अपने विधानसभा टुंडी से ही लीड ले पाए हैं।
विधानसभावार पड़े वोटों पर अगर नज़र डालें तो गिरिडीह लोकसभा के डुमरी विधानसभा में सबसे अधिक 90 हजार 541 वोट जयराम महतो को प्राप्त हुए है। जबकि एनडीए उम्मीदवार सांसद चन्द्रप्रकाश चौधरी 55 हजार 421 वोट लोकर दूसरे तथा झामुमो के मथुरा महतो 52 हजार 193 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे। वहीं गोमिया विधानसभा में सबसे अधिक 70828 वोट जय राम महतो को मिले। जबकि सीपी चौधरी को 66488 वोट व मथुरा महतो को 58828 वोट मिले है। बेरमो विधानसभा में सीपी चौधरी को सबसे अधिक 84651, मथुरा महतो को 59183 तथा जयराम को 53393 वोट प्राप्त हुए हैं। टुंडी विधानसभा में मथुरा महतो को 73771, सीपी चौधरी को 72638 तथा जयराम को 59421 वोट प्राप्त हुए है। वहीं बाघमारा विधानसभा में सीपी चौधरी को 81597, मथुरा महतो को 51140 व जयराम को 46272 वोट मिले। वहीं गिरिडीह विधानसभा में सीपी चौधरी को 86901, मथुरा महतो को 72082 व जयराम महतो को 21786 वोट प्राप्त हुए है। पोस्टल वोट में सबसे अधिक 5081 वोट जयराम महतो को मिले। जबकि सीपी चौधरी को 3243 व मथुरा महतो को 3062 वोट मिले।
लोकसभा चुनाव में जो परिणाम सामने आया है उसे देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि खतियान, भाषा, विस्थापन व स्थानीय मुद्दो को लेकर झारखंड की राजनीति में कदम रखने वाले जयराम महतो आने वाले विधानसभा चुनाव में झामुमो, भाजपा व आजसू के लिए चुनौती साबित होंगे। इसका मुख्य कारण है कि जेबीकेएसएस अध्यक्ष जयराम महतो उन्हीं मुद्दों को लेकर राजनीति में आए हैं, जिनको लेकर कभी झारखंड मुक्ति मोर्चा और आजसू मुखर हुआ करती थी। हालांकि ये अलग बात है कि सत्ता की चकाचौंध में इन पार्टियों के लिए झारखंडी अस्मिता से जुड़े सारे मुद्दे या तो गौण हो गए हैं या फिर भाषणों में ही सिमट कर रह गए हैं। लेकिन अपने समर्थकों के बीच टाईगर के नाम से पुकारे जाने वाले जयराम महतो झारखंडी अस्मिता से जुड़े उन्ही मुद्दों को लेकर पूरे तेवर के साथ न सिर्फ मुखर हैं, बल्कि झारखंडी जनमानुष के लिए एक उम्मीद की किरण भी बनकर सामने आये हैं। जयराम का प्रभाव कुछ ही माह बाद झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी अवश्य ही देखने को मिलेगा।