मोरहाबादी मैदान में डटे सहायक पुलिसकर्मियों से मिलने पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री
सहायक पुलिसकर्मियों की अनदेखी कर रही है हेमंत सरकार: रघुवर दास
रांची। स्थायीकरण की मांग को लेकर रांची के मोराबादी मैदान में पिछले 12 सितंबर से आंदोलनरत सहायक पुलिस कर्मियों से बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मुलाकात की और उनका हाल समाचार लिया। सहायक पुलिस कर्मियों से मुलाकात के दौरान श्री दास ने कहा कि नक्सल क्षेत्र के युवाओं को गुमराह होने से बचाने के लिए उनकी सरकार ने अनुबंध पर सहायक पुलिस में आदिवासी-मूलवासी युवाओं को बहाल किया था। नक्सलवाद पर काबू पाने में इनकी अहम भूमिका रही है। बावजूद इसके स्वयं को आदिवासी-मूलवासी का हितैषी होने का दावा करने वाली वर्तमान सरकार जवानों के साथ गलत व्यवहार कर रही है। कहा कि सहायक पुलिसकर्मियों को आंदोलन करते चार दिन हो गये हैं, लेकिन अब तक न तो कोई मंत्री न ही अधिकारी इनकी समस्या सुनने आया है। उलटे इनपर एफआईआर दर्ज किया जा रहा है।
लाॅकडाउन में सहायक पुलिसकर्मियों का रहा सराहनीय योगदान
रघुवर दास ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान भी पूरे राज्य में सहायक पुलिसकर्मियों ने बड़ी भूमिका अदा की। सड़क पर ट्रैफिक को सुव्यवस्थित करना या फिर अन्य काम, इन्होंने अपने कर्तव्य को बखूबी निभाया। इनमें आदिवासी, मूलवासी, दलित, शोषित, वंचित परिवार के अधिकतर युवक-युवतियां शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सरकार गठन के दौरान भी झामुमो और कांग्रेस ने बड़े-बड़े वादे किए थे। आज भी वादा कर रहे हैं कि तीन महीने में हम लोगों को रोजगार देंगे। लेकिन पिछले नौ महीने में एक भी रोजगार किसी को राज्य सरकार ने नहीं दिया। सिर्फ सहायक पुलिसकर्मियों की ही नहीं, बल्कि और भी संविदा कर्मी हैं जिनकी नौकरी जा रही है।
2017 में हुई थी सहायक पुलिसकर्मियों की नियुक्ति
झारखंड के 12 नक्सल प्रभावित जिलों में नक्सलवाद पर लगाम लगाने के उद्देश्य से 2017 में रघुवर दास के कार्यकाल में 2500 सहायक पुलिसकर्मियों की कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्ति की गई थी। सहायक पुलिसकर्मियों की माने तो अनुबंध खत्म हो जाने के बाद उन्हें स्थायी करने का आश्वासन दिया गया था। लेकिन अब तक उन्हें स्थायी करने की कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है।