मधुबन में चार्तुमास के आयोजन की तैयारी पूरी, महामारी को देखते हुए आयोजन से श्रद्धालुओं को रखा जाएगा दूरः विशुद्ध सागर जी महाराज
दो दिनों के प्रवास में रहे मुनिश्री ने कहा जैन समाज में होता है सभी 24तीर्थंकरों की उपासना
गिरिडीहः
गिरिडीह के जैन मंदिर में प्रवास कर रहे जैन समाज के दुसरे बड़े मुनि विशुद्ध सागर जी महाराज ने मंगलवार को मीडिया कर्मियों से बातचीत के दौरान कहा कि मधुबन में चार्तुमास के आयोजन की तैयारी चल रही है। चार्तुमास बेहद सादगी और महामारी को देखते हुए छोटा होगा। कहा कि राज्य की हेमंत सरकार भी जानती है कि चार्तुमास का स्वरुप कोई भीड़ वाला नहीं होता। बल्कि सिर्फ जैन मुनि ही विधी-विधान और अनुष्ठान करते है। लिहाजा, भावनाओं को देखते हुए राज्य के कई जिलों के जैन धर्मावलंबियो को चार्तुमास के आयोजन की अनुमति दी गई है। वैसे भी इसके आयोजन को लेकर हिंदु संगठन विहिप और बजरंग दल की सहमति भी मिल चुकी है। एक सवाल के जवाब में मुनिश्री विशुद्ध सागर ने इस बात से इंकार करते हुए कहा कि जैन समाज में सभी 24 तीर्थंकरों का पूजन और अनुष्ठान होता है। चर्चा सिर्फ दो के होने की वजह है कि भगवान महावीर का संदेश कलियुग में सबसे अधिक प्रचारित और प्रसारित हुआ। यही नही भगवान महावीर ने इस काल में हर एक जनमानष को जीवन जीने की राह दिखाया। मुनिश्री ने कहा कि गिरिडीह में भगवान पाश्र्वनाथ की चर्चा होने का कारण है कि गिरिडीह के सम्मेदशिखर मधुबन में भगवान पाश्र्वनाथ ने निर्वाण हासिल किया था। और इसी सम्मेदशिखर के कारण भगवान पाश्र्वनाथ के पूजा का महत्व बढ़ता है।
वैसे जैन समाज में भगवान रीषभ देव की भी उपासना और पूजा होता है। क्योंकि भगवान रीषभ देव जी महाराज का वर्णन हर पुराणों में है। इधर जैन मंदिर में मुनिश्री विशुद्ध सागर जी महाराज के सानिध्य में कई धार्मिक आयोजन हुए। तो बिहार के कटिहार से पुण्य सागर जी महाराज से दीक्षा लेकर गिरिडीह पहुंची 90 वर्षीय कैलाशी देवी का जैन मान्याताओं के अनुसार गोद भराई का रस्म पूरा किया गया। मौके पर जैन समाज के महेश जैन, श्रेयांश जैन, अविनाश सेट्ठी, अशोक पांड्या और अंकित पांड्या समेत कई मौजूद थे।