जर्जर भवन में रहने को विवश हैं तिसरी अस्पताल के चार कर्मी
कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
रंजन कुमार
गिरिडीह। वैश्विक महामारी कोरोना के इस संकटकाल में स्वास्थ्य विभाग के कर्मी पूरी मेहनत और जान जोखिम में डालकर समाज सेवा कर रहे हैं। वहीं कोरोना काल में सरकारी एम्बुलेंस भी मरीजों को लेकर अस्पतालों से अस्पतालों तक सरपट दौड़ रही है। मरीजों को ससमय उपचार दिलाने के लिए एम्बुलेंस के ड्राईवर कभी कभार अपनी जान तक जोखिम में डाल देते हैं। ऐसे में सरकार को भी अपने एम्बुलेंस ड्राईवरों और स्वास्थ्य कर्मियों की सुधि लेनी आवश्यक हो जाती है। लेकिन जिले के तिसरी प्रखंड अन्तर्गत राजकीय हॉस्पिटल के 108 एम्बुलेंस के दो ड्राईवरों और दो टेक्नीशियनों की सुधि न तो स्वास्थ्य विभाग ले रहा है और न ही सरकार। ये दो ड्राईवर और दो टेक्नीशियन वर्षों से पुराने जर्जर क्वार्टर में रहने को विवश है। अपने कार्यों के निर्वाहन के लिये ऐसे कमरे में रहते है जो कभी भी जमींदोज हो सकती है। वहां अपनी जान जोखिम में डाल कर रात गुजारते है। बरसात के मौसम में इस कमरे से पानी रिसता रहता है, जिससे आराम कर पाना मुश्किल है। ड्राइवर व टेक्नीशियन का कहना है कि कभी भी कहीं से कॉल आ जाती है तो यहां रहकर जाना पड़ता है।
खुद का जीवन नहीं है सुरक्षित
सरकार के द्वारा ऐसे लोगों व स्वास्थ्य कर्मियों को फ्रंटलाइन वर्कर की श्रेणी में रखा गया है। ये लोग रात दिन लोगों और मरीजों की सेवा में लगे रहते है। लेकिन जब इनकी खुद की सुरक्षा की बात आती है, तो सरकारी सुविधाएँ खुद नदारद हो जाती है। ऐसे लोग मरीजो, घायलों को अपनी सेवा देने से रात दिन में कभी भी नहीं हिचकते है। परंतु इनका अपना जीवन ही सुरक्षित नही है। और न ही ये लोग चैन की नींद सो पाते है।
एक ही कमरे में रहते हैं चार कर्मचारी

इस बाबत 108 एम्बुलेंस के ड्राईवर राजेन्द्र यादव ने कहा की इस जर्जर मकान की छत पूरी तरह धंस चुकी है। छत, खिड़कियाँ भी ध्वस्त हो चुकी है। जिससे बरसात के दिनों में यहां रहना मुश्किल हो जाता है। बताया कि बरसात में वे लोग एक कोने में जग कर रात बिताने को विवश हैं। बताया कि उनलोगांे के पास एक ही कमरा है जिसमें वे चार लोग रहते हैं। कहा कि इसकी सूचना छ माह से लगातार तिसरी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर देवव्रत को दी जा रही है, लेकिन अभी तक सिर्फ टालमटोल ही की जा रही है। इधर चिकित्सा प्रभारी देवव्रत ने कहा न्यू बिल्डिंग मे कमरा नही है। कहा कि स्टाफ की संख्या अधिक होने के कारण कई स्टाफ पुराने भवन में रहने के लिए विवश हैं। उन्हांेने कहा की तिसरी मे स्टाफ के लिए और भवन की जरूरत है। ताकि कर्मचारियों को ऐसी परेशानी से सामना नहीं करना पड़े।