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कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण गिरिडीह में आक्सीजन का उत्पादन हर रोज 2500 सौ लीटर हो रहा, तो डिमांड भी 2400 सौ लीटर पहुंचा

वितरक एजेंसियों ने कहा कोई किल्लत नहीं जिले में आक्सीजन का, किल्लत सिर्फ 10 लीटर वाले सिलेंडर का

डिमांड के कारण गिरिडीह में आॅक्सीमीटर बिक रहा काफी उंचे दर पर, सिर्फ एक दवा दुकान में उपलब्ध

मनोज कुमार पिंटूः गिरिडीहः
आक्सीजन को लेकर मचे हाहाकार के बीच गिरिडीह के लिए राहत की बात है कि आक्सीजन का कोई किल्लत नहीं है। जबकि कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण आॅक्सीजन का डिमांड गिरिडीह में भी काफी अधिक बढ़ गया है। सदर अस्पताल में हर रोज 70 सिलेंडर की आपूर्ति हो रही है। पहले सदर अस्पताल को सिर्फ 15 सिलेंडर की जरुरत पड़ती थी। लेकिन अब डिमांड बढ़ गया है। लिहाजा, 70 सिलेंडर में 15 से अधिक आॅक्सीजन सिलेंडर बदडीहा के एएनएम हाॅस्टल स्थित कोविद सेंटर को वहां भर्ती संक्रमितों के लिए आपूर्ति किया जा रहा है। तो सदर अस्पताल के कोविद सेंटर में भी हर रोज आठ से 10 सिलेंडर उपलब्ध कराएं जा रहे है। इसी प्रकार जिले के अन्य कोविद सेंटरों में भी जरुरत के अनुसार चार से पांच सिलेंडर दिए जा रहे है। इधर शुक्रवार को ही न्यूज विंग ने आॅक्सीजन की उपलब्धता पर ग्रांउड स्तर पर मामले की जानकारी ली। तो पता चला कि जीवन रक्षक आॅक्सीजन का कोई किल्लत नहीं है। बल्कि, आॅक्सीजन सिलेंडर और शरीर में आॅक्सीजन नापने वाली मशीन आॅक्सीमीटर का किल्लत जरुर हुआ है। क्योंकि 10 लीटर वाले आॅक्सीजन सिलेंडर को कई लोग अपने पास यह कहकर स्टाॅक रखे है कि उनके घर पर भी संक्रमित है।


ऐसे में अचानक जरुरत पड़ा तो कहां से लाएगें। इसी 10 लीटर वाले सिलेंडर को स्टाॅक कर लेने का खामियाजा एक तरह से कई जरुरतमंदो को ही उठाना पड़ रहा है। जिन्हें जरुरत पड़ने पर आॅक्सीजन की रीफिलिंग नहीं हो पा रही। जबकि गिरिडीह के आॅक्सीजन वितरक एजेंसी राहुल केडिया और मेसर्स सांई आॅक्सीजन ने अब ऐसे लोगों को समझा रहे है कि छोटे सिलंेडर स्टाॅक नहीं करें। सांई आॅक्सीजन के संचालक ने दावा करते हुए कहा कि हालात को देखते हुए फिलहाल 2500 हजार लीटर आॅक्सीजन के उत्पादन किए जा रहे है। उत्पादन के अनुसार डिमांड भी करीब 2400 सौ लीटर तक पहुंच चुका है। ऐसे में जरुरत पड़ने पर वैसे लोगों को आपूर्ति किया जाएगा। वैसे 10 लीटर के सिलेंडर का स्टाॅक होते देख अब दोनों वितरक एजेंसियों ने डाॅक्टर की पर्ची के बगैर अब आॅक्सीजन देना ही बंद कर दिया। क्योंकि जिले के कई प्राईवेट नर्सिंग होम में कोरोना संक्रमित का इलाज चल रहा है। और वैसे नर्सिंग होम को भी सप्लाॅई करना पड़ रहा है। सांई आॅक्सीजन के संचालक ने यह भी कहा कि किल्लत सिर्फ 10 लीटर वाले सिलेंडर का है। जबकि 47 लीटर वाले सिलेंडर की कोई कमी नहीं है। क्योंकि 47 लीटर वाले सिलेंडर की जरुरत सिर्फ नर्सिंग होम और सदर अस्पताल को ही है।


इधर किल्लत आॅक्सीमीटर का भी है। शहरी क्षेत्र के किसी दवा दुकान में आॅक्सीमीटर सुलभ से उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। जबकि समान्य दिनांे में यही डिवाईस सुविधा के अनुसार करीब आठ सौ रुपये तक के कीमत पर मिल जाता था। लेकिन वर्तमान में इसी डिवाईस का भुगतान उत्पादन दर से करीब तीन गुना अधिक करना पड़ रहा है। हालात ऐसे है कि आॅक्सीमीटर उपलब्ध भी है तो वह भी शहर के सिर्फ एक दवा दुकान में मिल पा रहा है। वह भी 1500 सौ से दो हजार के दर पर बिक रहा है। जानकार सूत्रों की मानें तो शहर के इस दवा दुकान में फिलहाल 40 से अधिक आॅक्सीमीटर के मौजूद होने की बात कही जा रही है। इधर जब औषधी निरीक्षक अमित कुमार से मंहगे कीमत में बिकने का कारण जानना गया। तो औषधी निरीक्षक अमित कुमार का भी तर्क बेहद हास्यास्पद रहा। औषधी निरीक्षक के अनुसार दिल्ली की कई उत्पादन कंपनियां ही उंचे दर पर आॅक्सीमीटर की आपूर्ति गिरिडीह में कर रही है।

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