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नक्सलबाड़ी आंदोलन के 54 वर्ष पूरे, याद किये गए शहीद

गिरिडीह। नक्सलबाड़ी आंदोलन के 54 वर्ष पूरे होने पर भाकपा माले ने बगोदर के सरिया रोड स्थित शहीद महेंद्र सिंह स्मृति भवन में शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान नक्सलबाड़ी की महान किसान विद्रोह की क्रांतिकारी भावना के अनुरूप आज की फासिस्ट सत्ता के विरुद्ध संघर्ष करने का संकल्प लिया गया। मौके पर बगोदर विधायक विनोद कुमार सिंह, भाकपा माले के जिला सचिव मनोज भक्त, प्रखण्ड सचिव पवन महतो, इनौस राष्ट्रीय सचिव संदीप जायसवाल, कुमोद यादव, हेमलाल, नीतीश कुमार सहित कई अन्य उपस्थित थे।

दमनकारी निरंकुश सत्ता ने की थी 11 गरीबों की हत्या

उल्लेखनीय है कि 25 मई 1967 को पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग के नक्सलबाड़ी में दमनकारी निरंकुश सत्ता मशीनरी ने 11 गरीबों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। जिसमें 8 महिलाएं और दो बच्चे भी शामिल थे। इसी के साथ देश भर में नक्सलबाड़ी आंदोलन की चिंगारी भड़क उठी थी और क्रांतिकारी बदलाव के लिए संघर्ष तेज हुआ था।

आज भी किसान लड़ रहे हैं विनाशकारी कानूनों के खिलाफ लड़ाई

श्रद्धांजलि कार्यक्रम में बोलते हुए बगोदर विधायक विनोद कुमार सिंह ने कहा कि नक्सलबाड़ी मूलतः किसान विद्रोह था। नक्सलबाड़ी किसान विद्रोह के 54 वर्षों के बाद आज एक तरफ किसान, मोदी सरकार के विनाशकारी कृषि कानूनों को हटवाने के लिए लड़ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ मजदूर, निजीकरण के साथ-साथ मजदूर वर्ग के अधिकारों को हड़पने वाली, उन्हें कॉरपोरेट गुलामी में जकड़ने वाले कानून लाने वाली मोदी सरकार से लड़ाई लड़ रहे हैं। भारत के युवाओं और अगली कतार में लड़ने वाले योद्धाओं- डॉक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्य कर्मचारियों, ड्राइवरों, सफाईकर्मियों के लिए आज के भारत में सिर्फ और सिर्फ अनिश्चय और अन्याय है। जब पूरा देश ऑक्सीजन और साफ हवा के लिए छटपटा रहा है तब संघ-भाजपा के हिन्दू राष्ट्र का प्रोजेक्ट मुल्क का गला घोंटने की कोशिशों में लगा हुआ है। ऐसे में नक्सलबाड़ी की क्रांतिकारी भावना को मजबूत कर ही हम कोविड जनसंहार और देश की तबाही की जिम्मेदार विनाशकारी मोदी सरकार को निर्णायक शिकस्त दे सकते हैं।

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