अपराध को रोक पाने में नाकाम और कोयले के अवैध कारोबार के लगे दाग धोने के लिए अंतः हटाएं गए गिरिडीह के मुफ्फसिल थाना प्रभारी, विनय राम बने प्रभारी
तीन महीनें में ट्रांसर्फर-पोस्टिंग का नया लिस्ट एक बार फिर जारी
लगातार ट्रांसर्फर-पोस्टिंग की चर्चा अब राज्य मुख्यालय में भी
गिरिडीहः
बढ़ते अपराध और नाकामियों के बीच कोयला तस्करी को रोक पाने में असफल रहे गिरिडीह के मुफ्फसिल थाना प्रभारी रत्नेश मोहन ठाकुर पर आखिरकार बुधवार को गाज गिरी। और थाना प्रभारी ठाकुर का तबादला जिले के गांडेय अचंल कर दिया गया। बुधवार को एसपी अमित रेणु ने पांच पुलिस पदाधिकारियों का तबादला किया। पूर्व थाना प्रभारी रत्नेश मोहन ठाकुर को जहां गांडेय अचंल का पुलिस निरीक्षक नियुक्त किया गया। वहीं जमुआ अचंल के पुलिस निरीक्षक विनय राम को मुफ्फसिल थाना का नया प्रभारी बनाया गया। वहीं बगोदर के थाना प्रभारी नवीन सिंह को जमुआ अचंल का जिम्मा सौंपा गया। इसी प्रकार नवडीहा के ओपी प्रभारी सरोज सिंह चाौधरी को बगोदर तो पुलिस लाईन में प्रतीक्षारत एसआई सावन साहु को नवडीहा का ओपी प्रभारी बनाया गया। दोपहर में जारी हुए नए पदाधिकारियों को 24 घंटे के भीतर योगदान देने का निर्देश दिया गया है। इधर मुफ्फसिल थाना से हटाए गए पूर्व थाना प्रभारी रत्नेश मोहन ठाकुर के नाम पर उपलिब्ध काम तो नाकामी अधिक रही। इसी साल डेढ़ माह के भीतर हत्या की दो घटनाओं ने पहले तो थाना प्रभारी के सुस्ती पर सवाल उठाया। लेकिन मामला जब अधिक तूल पकड़ने लगा, तो जिले के वरीय अधिकारियों पर भी नाकाम अधिकारी होने का तमगा लगा। हत्या की इन घटनाओं के बीच इलाके के सफेदफोश राजनीतिकों और मुफ्फसिल थाना पुलिस के संरक्षण के कारण कोयला चोरी के बढ़ते मामलों ने भी थाना के साथ वरीय अधिकारियों दाग लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। यही नही हाल के दिनों में मुफ्फसिल थाना से दुष्कर्म का एक अपराधी तक फरार हुआ। लेकिन थाना प्रभारी के गलत रिपोर्ट पर वरीय अधिकारी की गाज एक बेकसूर पदाधिकारी पर गिर गई। लेकिन थाना प्रभारी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया।
जबकि इस बीच कई थाना प्रभारियों को हटाया गया। तो उनके जगह दुसरे पदाधिकारियों को पदस्थापित किया गया।

वैसे भी गौर करें, तो तीन महीनों के भीतर जिस प्रकार से पुलिस विभाग में ट्रांसर्फर-पोस्टिंग का खेल चला। उसकी चर्चा रांची पुलिस मुख्यालय तक हुई, कि आखिर 20 दिनों में एक थाना में प्रभारी को बिठाकर फिर वैसे पदाधिकारियों को हटाया क्यों जा रहा है। यानि, एक तबादले की चर्चा खत्म होती नहीं, कि दुसरा लिस्ट भी जारी हो जाता। हालांकि ट्रांसर्फर-पोस्टिंग के इस खेल में जिले में दो नामों की चर्चा तीन महीनें के भीतर खूब हुआ। वहीं बुधवार को एक बार फिर पांच पदाधिकारियों का तबादल कर दिया गया।