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बाल संरक्षण की टीम डीसी और एसपी के साथ पहुंची गिरिडीह की अभ्रम नगरी तिसरी, हुए समस्याओं से रुबरु

गिरिडीहः
बाल संरक्षण की टीम रविवार को गिरिडीह के तिसरी पहुंची। टीम के साथ डीसी नमन प्रियेश लकड़ा, एसपी अमित रेणु और डीडीसी शशिभूषण मेहरा समेत बाल संरक्षण की दिल्ली से आई प्रोजेक्ट निदेशक डा. संगीता गौर और समाज कल्याण पदाधिकारी अलका हेम्ब्रम और नीति आयोग की जिला समंवयक अंजली बिनसिकरा भी शािमल हुई। इस दौरान तिसरी के अग्रवाला उच्च विद्यालय में बाल संरक्षण समिति की भूमिका पर कैलाश सत्यार्थी की और से प्रशिक्षण शिविर का आयोजन हुआ। प्रशिक्षण में तिसरी की सभी पंचायतों की सेविका और सहिया भी शामिल हुई। मौके पर प्रोजेक्ट निदेशक डा. संगीता गौर ने कहा कि 18 साल से कम उम्र वाले बच्चों से किसी तरह का काम कराना कानून जुर्म है। वैसे प्रशिक्षण के दौरान प्रोजेक्ट निदेशक को यह भी जानकारी मिली कि तिसरी और गांवा में माइका से जुड़े काम में बच्चों को ही लगाया जाता है। लेकिन यह भी जानकारी दिया गया कि इलाके में रोजगार के अभाव में कम उम्र के बच्चों को इस कार्य में लिया जाता है। जबकि शिक्षा का भी अभाव है। इसके बाद निदेशक का कहना था, कि जो ऐसा कर रहे है वो कानून का उल्लघंन कर रहे है। इसमें सजा का भी प्रावधान है।

वहीं प्रशिक्षण के दौरान डा. संगीता गौर ने इलाके में बाल मजदूरी और बाल विवाह को भी समाजिक अभिशाप बताते हुए कहा कि ऐसे संगीन मामलों मंे कोई भी अपने थाने को सिर्फ एक सूचना ही दे, उसके बाद दोषी के खिलाफ कार्रवाई होगा। मौके पर डीसी ने कहा कि गांवा और तिसरी अकांक्षी परियोजनाओं के तहत आता है। ऐसे में दोनों प्रखंडो में जो परेशानी हैै उसे दूर करने का प्रयास किया जाएगा। इधर प्रशिक्षण मेें बीबीए की कविता समेत तिसरी बीडिओ संतोष प्रजापति, सीओ असीम बाड़ा, मुखिया किशोरी साव समेत कई मौजूद थे।

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