उगी है सूर्य देव, दोनो हाथ जोड़वा, अर्घ्य के बैरवा लोकगीत से गूंजे गिरिडीह के छठ घाट, एक साथ लाखो हाथो ने उदीयमान सूर्य और छठ मैया को सुख समृद्धि और निरोगिकाया की कामना के साथ दिया अर्घ्य
अहले सुबह से ही जुटनी शुरू हो गई थी वर्तियो और भक्तो की भीड़
गिरिडीह
उदीयमान सूर्य देव और छठ मैया को अर्घ्य प्रदान करने के साथ ही लोकआस्था, निर्जला उपवास और सूर्योपासना का पावन पर्व छठ पूजा सोमवार को संपन्न हुआ। इस दौरान गिरिडीह शहर समेत जिले के अलग अलग छठ घाटों में लाखो वर्ती और भक्तो की भीड़ जुटी। अहले सुबह से ही भक्तो की भीड़ छठ घाटों की ओर निकल पड़ी थी। डाला लिए युवा, युवतियां घरों से निकले।
जबकि वर्ती लोकगीत गुनगुनाते हुए घर से निकली। इस दौरान शहर के प्रमुख घाटों ने अरगाघाट, शिवशक्ति घाट, दीनदयाल घाट, आमघाट, शास्त्री नगर घाट, पचम्बा के सोना महतो तालाब, बुढ़वा आहार तालाब समेत जिला मुख्यालय के दर्जन भर से अधिक घाटों में लाखो की संख्या में श्रद्धालु जुटे, जबकि वर्ति भी भगवान सूर्य के उदय होने के साथ पूजा अर्चना की तैयारी में जुट गईं। और जैसे जैसे भगवान सूर्य ने लालिमा बिखरेना शुरू किया, वर्ती के साथ भक्तो ने दूध और जल से उदीयमान सूर्य के साथ छठ मैया को अर्घ्य प्रदान किया।
सुख समृद्धि और निरोगीकाया की कामना करते हुए अर्घ्य प्रदान किया। मौके पर छठ घाटों में बज रहे लोकगीत उगी है सूर्य देवए दोनो हाथ जोडवा समेत अन्य लोकगीत छठ घाटों के माहोल में भक्ति की गंगा बहा रहा था।
पूरे विधि विधान के साथ छठ मैया और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य प्रदान करते हुए वर्तियो के साथ भक्तो ने सुख समृद्धि की कामना किया। उषाबेला के अर्घ्य प्रदान करने के बाद भक्तो ने वर्तियो से सिंदूर का तिलक लगायाए और उनके पांव छू कर आशीर्वाद लिया।
जबकि महिलाए इस दौरान वर्तियो से तिलक लगाती नजर आई।
और उनसे महापर्व के प्रसाद ठेंकुआ, फल लेकर पावन पर्व का समापन किया। कमोबेश, हर कोई कठिन आस्था, निर्जला उपवास के महापर्व छठ को लेकर खुद को उनकी भक्ति ने समाहित दिखा। इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास का पावन पर्व छठ पूजा का समापन हुआ। मौके पर पुलिस जवान भी हर घाटों ने तैनात दिखे।









