होलीनुमा हुआ कोडरमा का बाजार, खरीददारों की उमड़ी भीड़
- दो वर्ष के बाद बाजार में लौटी रौनक
- हर्बल कलर बन रही लोगों की पहली पसंद, भुत मुखौटा व टोपी की भी मांग
- महिलाओं ने कहा कि बच्चे इस वर्ष उठायेगें होली का लुप्त
कोडरमा। आपसी प्रेम, उल्लास व रंगों का त्योहार होली में इस बार बाजार में रौनक देखने को मिल रही है। 17 मार्च को होलिका दहन के साथ पर्व शुरू हो रहा है। इस बार 18 और 19 मार्च को होली पर्व मनाया जायेगा। इसको लेकर रंगों का बाजार कलरफुल हो गया है। स्टेशन रोड, जैन गली मार्ग, खुदरा पट्टी, रॉची पटना रोड सहित व्यावसायिक क्षेत्रों स्थित अधिकतर दुकानें रंगों, पिचकारियों व अबीर-गुलाल से सज गई है। टू इन वन फॉग प्रेशर पिचकारी, नल बैलून, पाउच रंग के साथ-साथ मुखौटे की भी ग्राहकों द्वारा काफी मांग की जा रही है। भुत बाल, कृष मुखौटा, मिलिट्री टोपी, वीआइपी टोपी, जोकर व कई अन्य तरह के मुखौटे बिक्री के लिए लाया गया है। भुत बाल व कृष मुखौटा की सबसे अधिक मांग हो रही है।
कारोबारी पिन्टु जैन ने बताया कि दामों में बीते वर्ष की तुलना में इस बार 15 प्रतिशत तक वृद्धि होने के बावजूद कारोबार में काफी उछाल रहा है। बीते दो वर्षों से कोरोना संक्रमण का दंश झेल रहे लोग होली से जुड़े सामान की खुलकर खरीदारी कर रहे हैं। दो वर्षों से प्रभावित कारोबार को होली के रंगों, पिचकारियों व अबीर-गुलाल का कारोबार काफी गति दे रही है। दो वर्षों में हुए आर्थिक नुकसान की काफी हद तक भरपाई होली के कारोबार होने की उम्मीद इन कारोबारियों द्वारा की जा रही है।
होली त्योहार से जुड़े सामान के कारोबारियों ने कहा कि हाइ प्रेशर गन, प्रेशर पाइप, स्प्रे बोतल, पिट्ट बैग, हर्बल कलर व ऑर्गेनिक गुलाल लोगों की पहली पसंद बन रही है। लोगों की जेब के अनुसार हर तरह के साइज व क्वालिटी में इस बार भी रंग, गुलाल, अबीर व पिचकारी बाजार में बेची जा रही है। पिचकारियों के दाम के सवाल पर इन कारोबारियों ने कहा कि सबसे कम 8 रुपये से लेकर 600 रुपये तक अलग-अलग साइज व अलग-अलग क्वालिटी के अनुसार बाजार में पिचकारियां बिक रही हैं।
इधर होली के पिचकारी टोपी एवं मुखौटा व गन पिचकारी की खरीदारी कर रही महिला नुतन कुमारी व रूचि कुमारी ने कहा कि बच्चे इस वर्ष दो वर्ष के बाद होली का लुप्त उठा सकेगें।
वहीं पंडित रामप्रवेश पांडेय ने बताया कि इस वर्ष 17 मार्च की देर रात्रि को 12 बजकर 57 मीनट पर होलिका दहन होगी। इससे पहले भद्रा है। पृथ्वी लोक पर भद्रा के कारण होलिका दहन नहीं हो सकता। रात 12 बजे के पहले होलिका दहन होने पर आतर नहीं पड़ता। 12 बजे के बाद होलिका दहन होने पर आतर पड़ता है।




