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सिंगल यूज प्लास्टिक से होने वाली हानियों को पाठयक्रम में शामिल करने की मांग

  • बच्चों को सजग करने के लिए पाठ्यक्रम में शामिल करना जरूरी: शालिनी गुप्ता

कोडरमा। सिंगल यूज प्लास्टिक से होने वाली हानियों के प्रति लोगों को सजग करने के लिए इस विषय को पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। उक्त बातें झारखण्ड प्रदेश की पूर्व जिला परिषद राज्य अध्यक्ष सह कोडरमा जिला परिषद की पूर्व अध्यक्ष शालिनी गुप्ता ने कही। उन्होनें कहा कि पर्यावरणविद और शिक्षकों का बड़ा तबका ऐसा है, जो यह मानता है कि यदि प्राइमरी कक्षाओं से ही सिंगल यूज प्लास्टिक से होने वाली क्षति की पढ़ाई होगी तो समाज भी बेहतर ढंग से जागरूक होगा। कारण यह कि जब प्राइमरी क्लास का विद्यार्थी इसकी हानियों को जानेगा तो वह औरों को भी इससे सचेत करेगा और स्वयं भी इसका प्रयोग नहीं करेगा।

कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक का निस्तारण बेहद कठिन है। सड़क बनाने और कुछ अन्य स्थानों पर सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग अवश्य हो रहा है, लेकिन इसके भी अपने नुकसान हैं। एक बार प्रयोग होने वाली प्लास्टिक को जलाने से पर्यावरण को क्षति पहुंचती है और यदि यह मिट्टी में भी दबी रहे तो लगभग 100 वर्षों का इसका अस्तित्व बना रह सकता है। इसके छोटे-छोटे कण भूमि की उर्वरता को क्षति पहुंचाते हैं। इस विषय को प्राइमरी ही नहीं, बल्कि माध्यमिक और स्नातक के पाठ्यक्रम का अनिवार्य हिस्सा बनना चाहिए। यह अत्यंत गंभीर विषय है और सरकार को इस दिशा में पहल करनी चाहिए। निश्चित रूप से यदि इस विषय को शुरूआती दौर से ही विद्यार्थियों को पढ़ाया जाएगा तो जनचेतना बढ़िया ढंग से आ सकेगी। पूर्व जिप अध्यक्ष शालिनी गुप्ता ने आगे कहा कि बच्चे बड़ों को भी सचेत करेंगे और स्वयं जब बड़े होंगे तो सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करेंगे।

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