राजपुरा में श्रीश्री 108 सप्तदिवसीय महायज्ञ का हुआ आयोजन
- वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच हुए अनुष्ठान
- सुखी रहने के लिए धन से अधिक स्वस्थ होने की आवश्यकता: मालती बहन
गिरिडीह। गावां प्रखंड के राजपुरा गांव में श्रीश्री 108 सप्तदिवसीय दुर्गापाठ को लेकर आस्था व उत्साह चरम पर है। प्रचंड गर्मी के बावजूद दूसरे दिन भी लगभग हजारों महिला पुरुष श्रद्धालुओं ने विश्व शांति की कामना को लेकर यज्ञ मंडप की परिक्रमा की। कई युवा तो दो-तीन घंटे लगातार यज्ञ मंडप की परिक्रमा में लगे रहे।
आचार्य मुकेश पांडेय, प्रवचनकर्ता अछूतानन्द पांडेय व मालती बहन समेत कई अन्य विद्वान आचार्याे के पवित्र मंत्रोच्चार के बीच समस्त पूजन विधान के साथ किया जा रहा है। यज्ञ परिसर के समीप लगे मेला में भी बडी संख्या में लोग जुट रहें हैं। आयोजक नवयुवक संघ व यज्ञ समिति के सदस्यों द्वारा अथक प्रयास से वृहद यज्ञ का आयोजन हो रहा है। प्रति संध्या मानस प्रवचन का आयोजन प्रकांड विद्वान राधा भक्ति मालती बहन व अछूतानन्द पांडेय का प्रवचन आरंभ है जिससे देर रात तक हजारों की भीड मंदिर परिसर के आसपास रहती है। प्रति रात्रि रामलीला का भी आयोजन हो रहा है जिसमें प्रतिभावान कलाकार श्रद्धालुओं के समक्ष भगवान राम के जीवन की गाथा प्रस्तुत कर रहें हैं।
इस दौरान प्रवचनकर्ता मालती बहन ने पारिवारिक जीवन को लेकर कथा वाचन करते हुए राजा प्रतीक की कहानी सुनाई और लोगों को जीवन की कई सारी सीख दी। कहा कि सुखी रहने के लिए धन से अधिक स्वस्थ होने की आवश्यकता होती है। जिस इंसान का स्वास्थ सही होता है, उसके परिवार जन सही होते हैं, पत्नी अच्छी होती है, वह इंसान हमेशा सुखी रहता है। बुढ़ापे में अपने बच्चों पर निर्भर रहकर लोग तरह-तरह की परेशानियां झेलते हैं। इससे बेहतर है कि अपने बच्चों की शादी करने के बाद उनका गृहस्थ जीवन अलग कर देना चाहिए, वरना आजकल के बच्चे बुढ़ापे में मां-बाप को घर से भी निकाल देते हैं।
सुश्री मालती ने कहा कि भगवान हमें कई सारे मौके देते हैं पर हम इंसान उन मौकों को समझ नहीं पाते हैं। वह हमें अलग-अलग माध्यम से सूचना देते रहते हैं कि इस धरती पर हमारा समय अब समाप्त हो रहा है। जिसमें सबसे पहले इंसान के बाल पकते हैं, फिर उनकी आंखों की रोशनी चली जाती है, फिर उनके दांत झड़ते हैं और उनका पूरा शरीर ही नश्वर हो जाता है, लेकिन हम इंसान उन चीजों को न समझकर मोहमाया में लिप्त रहते हैं। उन्होंने कहा कि भागवत कथा का श्रवण करना भी भगवान के पूजन के समान है।
यज्ञ को सफल बनाने में समिति के रामचन्द्र प्रसाद यादव, हेमलाल यादव, द्वारिक यादव, जीतन महतो, विजय यादव, सुकर राय, कार्तिक राय, अर्जुन राय, सुधीर राय, बिरजू राय व बबलू साव समेत दर्जनों युवा योगदान दे रहे है।