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झारखंड के वनाधिकारी का पेपर वर्ल्ड फॉरेस्ट्री कांग्रेस के लिए स्वीकृत

  • एपीसीसीएफ संजीव कुमार के सौ से अधिक पेपर कई जर्नल में छप चुके हैं

रांची। वर्ल्ड फॉरेस्टी कांग्रेस प्रत्येक छः वर्ष पर आयोजित किया जाता है। इस वर्ष यह कोरिया के सियोल में 02 से 06 मई तक आयोजित किया गया है। इसमें एपीसीसीएफ यानी अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (कैम्पा, झारखंड रांची) संजीव कुमार का पेपर भी स्वीकृत किया गया है। इस पेपर में श्री कुमार ने इकोसिस्टम सर्विस और वन प्रबंधन में पारंपरिक ज्ञान का उपयोग, वन तथा इसके आस-पास रहने वाले ग्रामीण तथा आदिवासी ने समय के साथ पारंपरिक ज्ञान कैसे अर्जित किया है, के बारे में बताया है।

पेपर में एपीसीसीएफ संजीव कुमार ने बताया है कि अर्जित ज्ञान और अनुभव आदि से आदिवासियों ने जाना कि पीढ़ी दर पीढ़ी का लोक कला, लोक कथा, लोक संगीत से क्या महत्व है। ये पारंपरिक ज्ञान वनों के स्पष्टक्षण, संवर्द्धन तथा इनके सस्टेनेबल उपयोग से भरे है। इस पेपर में इन सब विषयों की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। दूसरे पेपर में बताया गया है कि लघु वन पदार्थ का जीविका/आमदनी के स्त्रोत तथा जलवायु परिवर्तन से अनुकूलन में उपयोग, झारखंड के वनों के आसपास रहने वाले ग्रामीण और आदिवासी मसलन उरांव, मुंडा, हो, संथाल, सवर, बिरहोर आदि भूमि के लघु वन पदार्थ का आजीविका के साधन के रूप में उपयोग करते हैं।

औषधीय पौधे, तेन्दु, रेशम, लाह, बांस इत्यादि प्रमुख है। इनका ग्रामीण किस तरह से उपयेाग करते हैं, इनमें पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करते हुए कैसे वृद्धि की जा सकती है, की चर्चा इस पेपर में है। जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में इनके अनुकूलन में क्या भूमिका और क्या संभावना है, यह भी इनमें वर्णित है। श्री संजीव कुमार के विभिन्न राष्ट्रीय तथा अर्न्तराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस और जर्नल में 100 से अधिक पेपर छप चुके हैं।

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