महंगाई के खिलाफ वामदलों का विरोध पखवाड़ा 16 से
2 मई के बाद 21 बार हुई पेट्रोलियम पदार्थों में मूल्यवृद्धि
कोडरमा। डीजल पेट्रोल की कीमतों में हो रही लगातार बढ़ोतरी और कमर तोड़ मंहगाई व भाजपानीत मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ सीपीआईएम, सीपीआई व माले सहित अन्य वाम दलों ने 16 से 30 जून तक देशव्यापी विरोध पखवाड़ा मानने का आह्वान किया है। इस बात की जानकारी देते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिवमंडल सदस्य संजय पासवान ने कहा कि हाल में संपन्न पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की मतगणना 2 मई के बाद केन्द्र सरकार ने लोगों को कोरोना महामारी के कहर से निपटने और जनता को राहत देने के बजाय डीजल पेट्रोल की कीमतों में अब तक 21 बार बढ़ोतरी किया है। जिसके कारण आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में निरंतर वृद्धि से और मंहगाई के कहर से आम लोगों के भोजन पर भी आफत आ गया है। खाद्य पदार्थों की कीमतों में करीब 10 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वहीं सरसों तेल व रिफाइन तेल के दामों में तो 100 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है। आम आदमी का जीना तो एकदम मुश्किल हो गया है। सरकार के संरक्षण में कालाबाजारी और जमाखोरी को बढ़ावा मिल रहा है। अर्थव्यवस्था में गहरी मंदी, सरपट दौड़ती बेरोजगारी, क्रय शक्ति का गिरना और भूख का बढ़ता स्तर ही मोदी सरकार की सात साल की उपलब्धि है।
आयकर से बाहर के परिवारों को 75 सौ रूपए प्रतिमाह दे सरकार
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिवमंडल सदस्य संजय पासवान ने कहा कि वाम दलों की मांग है कि 75 सौ रूपए प्रति माह छह महीने के लिए उन सभी परिवारों के खाते में भेजें, जो आयकर आयकर दायरे में नहीं आते हैं। 5 किलो खाद्यान्न दिपावली तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना से देने की जो घोषणा किया है वह अपर्याप्त हैं। क्योंकि यह सभी जरूरतमंदों को कवर नहीं करता हैं। इसलिए इसका दायरा बढ़ाया जाए और प्रति सदस्य 10 किलो अनाज के साथ दाल, खाद्य तेल, चीनी, मसाले, चायपत्ती आदि के साथ भोजन किट उपल्ब्ध कराया जाए। इन्हीं मुद्दों पर कोविड की परिस्थितियों और सावधानियों तथा प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करते हुए वाम दलों ने अपने अपने कार्यकर्ताओं से 16 से 30 जून तक विरोध पखवाड़ा मानने का आह्वान किया है।