देशव्यापी आह्वान पर हिरोडीह में हुआ रेल चक्का जाम
प्रदर्शकारियों ने कहा किसानों का पसीना और गरीबों की रोटी कैद नहीं होने दिया जाएगा
कोडरमा। किसान विरोधी तीन कृषि काला कानून के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में कृषि कानूनों को वापस करने व किसानों की फसलों को उचित दाम देने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाने की मांग को लेकर जारी आंदोलन की कड़ी में गुरुवार को देशव्यापी रेल चक्का जाम किया गया। आंदोलन के साथ एकजुटता जाहिर करने के लिए पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत किसान संघर्ष मोर्चा के बैनर तले विभिन्न राजनीतिक, प्रगतिशील और सामाजिक संगठनों के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने हिरोडीह जंक्शन में हावड़ा दिल्ली ग्रैंड कोड रेल लाइन में सांकेतिक रेल चक्का जाम किया गया। जहां तानाशाह मोदी सरकार मुर्दाबाद, किसान विरोधी कानून वापस लो, आंदोलन कर्मियों पर देशद्रोह का झूठा मुकदमा करना बन्द करो, दिशा रवि व नौदीप कौर को रिहा करो आदि नारे लगाए जा रहे थे।
रेलवे ट्रैक पर ही सिविल सोसाइटी के संयोजक उदय द्विवेदी की अध्यक्षता में हुई आमसभा को आम आदमी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ0 संतोष मानव, दामोदर यादव, सीपीआई नेता और जिप सदस्य महादेव राम, जिलामंत्री प्रकाश रजक, किसान नेता महेश सिंह, अर्जुन यादव, उप प्रमुख बिरेंद्र यादव, माले के जिला सचिव मोहन दत्ता, विजय पासवान, राजेन्द्र मेहता, नागेश्वर प्रसाद, बसपा के जिलाध्यक्ष प्रकाश अम्बेडकर, सीपीएम नेता संजय पासवान, परमेश्वर यादव, सुरेन्द्र राम, महेन्द्र तुरी, प्रकाश यादव आदि ने सम्बोधित किया।
मोर्चा के नेताओं ने कहा कि किसान यह लड़ाई सिर्फ अपने पसीने पर अपने हक के लिए नहीं लड़ रहा है, बल्कि देश के गरीबों की रोटी को अंबानी और अडानी के तिजोरी में कैद होने से बचाने की लड़ाई भी लड़ रहा है। किसानों की इस ऐतिहासिक आन्दोलन ने देश को एकजुटता की सूत्र में बांधा है। नेताओं ने कहा कि भाजपा का राष्ट्रवाद का मतलब देश की संप्रभुता को गिरवी रखना है। मोदी सरकार कोरोना महामारी का फायदा उठाकर बैंक, बीमा, रेलवे, पेट्रोलियम समेत सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को देशी विदेशी पूंजीपतियों के हवाले कर रही है। जिसका ताजा उदाहरण बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र का निजीकरण करने का फैसला है। टूलकिट के नाम पर बेवजह लोगों को फंसाया जा रहा है। इसलिए देशवासियों के लिए आने वाला समय काफी चुनौतीपूर्ण होगा। तमाम देशभक्त, सेकुलर और लोकतांत्रिक शक्तियों को एकजुट होकर मोदी सरकार द्वारा संविधान, लोकतन्त्र और अभिव्यक्ति की आजादी पर किए जा रहे हमलों के खिलाफ खड़ा होना होगा।
प्रदर्शन में गीता देवी, यशोदा देवी, गुड़िया देवी, रीना देवी, सकिंदर राम, पुरुषोत्तम यादव, मंसूर अंसारी, मसरुल अंसारी, मो० शमीम, मुस्लिम अंसारी, हरी पासवान, गायत्री देवी, अंशु पासवान, संतोषी देवी, शांति देवि, मुन्ना यादव, हकीम खान, असलम अंसारी, नकुल्देव शर्मा संदीप पासवान, सरफराज अहमद, द्रोपदी देवी, जालिम भूईया, जितेन्द्र राय, अर्जुन सिंह, भिखन यादव, रामजनम गिरी, लालजीत राणा, रामचंद्र सिंह सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।