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कोडरमा के राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज और पॉलीटेक्निक के निजीकरण का प्रयास छात्रों के साथ धोखा: अन्नपूर्णा देवी

कोडरमा। केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री एवं कोडरमा की सांसद अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि कोडरमा के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज और पॉलीटेक्निक को निजी हाथों में सौंपने की कोशिश कोडरमा और झारखण्ड की जनता तथा गरीब-मेधावी छात्रों के साथ धोखा है। इस कोशिश का हर स्तर पर विरोध होगा।
अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि इंजीनियरिंग कॉलेज और पॉलीटेक्निक के निजीकरण की कोशिश के पीछे किसी बड़ी डील का संकेत मिल रहा है। राज्य सरकार ये तो कह रही है कि निजीकरण से मल्टी डोमेन और मल्टी डिसिप्लिनरी पढ़ाई हो सकेगी। लेकिन खुलकर ये नहीं बता रही है कि इस नाम पर बेशकीमती 27 एकड़ सरकारी जमीन निजी कंपनी को सौंप दी जाएगी। निजी यूनिवर्सिटी के फायदे के लिए ही अभियंत्रण महाविद्यालय और पॉलीटेक्निक का विलय किया जा रहा है और इसके लिए मल्टी डिसिप्लिनरी और मल्टी डोमेन जैसे आकर्षक शब्दों की आड़ ली जा रही है।

उन्होंने कहा कि पीपीपी मोड़ में जो सुधार झारखण्ड सरकार को संभावित दिख रहा है, वह सरकारी व्यवस्था में भी संभव है, अगर इरादा नेक हो। भारत सरकार द्वारा संचालित धनबाद के इंडियन स्कूल ऑफ माइंस के आईआईटी में परिवर्तित होकर भी सफलता की यात्रा जारी रखने का उदाहरण सबके सामने है। कोडरमा का राजकीय पॉलीटेक्निक भी, जो पहले माइनिंग इंस्टीट्यूट के नाम से मशहूर था, धनबाद के आईएसएम की तरह मशहूर था। इस संस्थान से शिक्षा ग्रहण करनेवाले कई खनन अभियंताओं ने देश भर में अपनी प्रतिभा से कोडरमा की एक विशिष्ट पहचान कायम की है। ऐसे में निजी हाथों में सौंपकर इस महत्वपूर्ण संस्थान की पहचान मिटाने की इजाजत राज्य सरकार को नहीं दी जा सकती।

यह भी तय है कि निजीकरण के साथ ही इन दोनों महत्वपूर्ण तकनीकी संस्थानों का व्यवसायीकरण भी होगा और गरीब छात्रों के लिए दरवाजे बंद हो जाएंगे। आरक्षण के प्रावधानों की भी धज्जियां उड़ेंगी। इसलिए किसी भी सूरत में कोडरमा के अभियंत्रण महाविद्यालय एवं राजकीय पॉलीटेक्निक का निजीकरण न तो न्यायोचित है, न स्वीकार्य। राज्य सरकार से इस मसले पर बात करूंगी और अगर सरकार अड़ी तो मैं स्वयं इसका हर स्तर पर विरोध करूंगी।

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