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महापारणा महाप्रतिष्ठा आयोजन स्थल पहुंचे जैन मुनि प्रसन्न सागर जी महाराज, भव्य सिंहासन पर हुए विरोजमान

  • आशीर्वाद लेने उमड़ी हज़ारों की भीड़, कई अनुष्ठान का हो रहा आयोजन
  • केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने कहा संतो के आशीर्वाद से विश्व में फैल रही भारत की कीर्ति

गिरिडीह। 20 तीर्थंकर के निर्वाण भूमि श्री सम्मेद शिखर मधुबन के मैदान में शुरू हुए आठ दिवसीय महापारणा महाप्रतिष्ठा महोत्सव के पहले दिन शनिवार को जैन मुनि प्रसन्न सागर जी महाराज 557 दिनो के अंतर्मना एकांतवास और मौन साधना को खत्म कर जब पारसनाथ पहाड़ से नीचे उतरे और कार्यक्रम स्थल पहुंचे।

नीचे उतरते ही मुनि प्रसन्न सागर जी महाराज की पालकी सीधा एक लाख वर्ग फीट में बने भव्य पंडाल पहुंची। जहां करीब 40 हजार से भी अधिक की संख्या में भक्तो ने जिस प्रकार से खास पालकी से नीचे उतरे जैन मुनि प्रसन्न सागर जी महाराज का स्वागत किया वो खुद में आस्था और श्रद्धा का उदाहरण प्रस्तुत कर रहा था।

इस दौरान आयोजन स्थल में ही प्रसन्न सागर जी के साथ जैन मुनि पियूष सागर जी महाराज समेत दिगंबर जैन समाज के 15 से अधिक जैन मुनि के बैठने की व्यवस्था की गई थी। वहीं महापारणा महाप्रतिष्ठा समारोह में केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला के साथ नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री फुलमनी और नेपाल के दो सांसद भी शामिल हुए।

मौके पर केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि उनका सौभाग्य है की संतो के महा निर्वाण भूमि में वो इतने बड़े आयोजन में शामिल हुए है। कहा की भारत अगर विश्व गुरु बनने के मार्ग पर अग्रसर है तो इसका बड़ा कारण संतो का देश को मिल रहा मार्गदर्शन है। क्योंकि पूरे विश्व में भारत का एक बड़ा पहचान संतो के कारण भी है। जैन समाज के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल सम्मेद शिखर मधुबन को निर्वाण भूमि कहा जाता है। क्योंकि 20 तीर्थंकर के इस निर्वाण भूमि में इस आयोजन का होना भक्ति और आस्था में डूबने जैसा है। उन्होंने मुनि प्रसन्न सागर जी महाराज के कठिन तप और साधना की भी सराहना की।

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