जैन मुनि श्री 108 प्रमाण सागर जी गुरुदेव का हुआ भव्य स्वागत
कोडरमा। झारखंड के गौरव जैन संत झारखंड सरकार के राजकीय अतिथि मुनि श्री 108 प्रमाण सागर जी गुरुदेव का मंगलवार को झुमरीतिलैया बायपास रोड में भव्य स्वागत किया गया। जैन समाज के लोगों सहित अन्य लोग भी गुरुदेव के स्वागत में साथ चल रहे थे। इस दौरान पुलिस प्रशासन के द्वारा चाक चैबंद व्यवस्था की गई थी। बायपास रोड में जैन समाज की महिलाएं केसरिया वस्त्र, पुरुष व बच्चे श्वेत वस्त्र में गुरु की आगवानी के लिए पहुंचे थे। मुनि श्री 108 प्रमाण सागर जी के नगर भ्रमण में दिव्य घोष के साथ घोड़ा गाड़ी, रथ गाड़ी, ताशा पार्टी, बैंड बाजा के साथ जैन समाज की बच्चियां व महिलाएं अपने माथे पर कलश व पुरुष अपने हाथ में जैन धर्म का झंडा लेकर गुरुदेव के साथ-साथ जैन धर्म के जयकारों के साथ चल रहे थे। वहीं जैन समाज के प्रसिद्ध भजन गायक नवीन जैन पांड्या और सुबोध जैन ने अपने कर्णप्रिय भजनों से लोगों को आनंदित कर दिया। नगर भ्रमण के दौरान पालकी बायपास रोड, ओवरब्रिज, झंडा चैक, डॉक्टर गली होते हुए जैन मंदिर पहुंचे जहां पर भक्त जनों ने गुरूदेव के चरण पखारे और आरती की।
दूसरों के सुख से दुखी होने वाले ही हो रहे डिप्रेशन का शिकार

जैन मंदिर में आयोजित कार्यक्रम का मंच संचालन समाज के उपमंत्री राज छाबड़ा ने किया। वहीं जैन समाज के पदाधिकारियों और निवर्तमान वार्ड पार्षद पिंकी जैन ने आचार्य विद्यासागर जी गुरुदेव के चित्र का अनावरण किया और दीप प्रज्वलन किया। तत्पश्चात परम तपस्वी, प्रखर वक्ता, शंका समाधान के जनक मुनि श्री 108 प्रमाण सागर जी गुरुदेव ने अपने अमृत वाणी के उद्बोधन में जैन समाज और पूरे कोडरमा जिला के लोगों को मंगल आशीर्वाद दिया। उन्होने कहा अपने उपदेश में कहा कि धर्म ही एक ऐसा सहारा है जिससे व्यक्ति का कल्याण हो सकता है, जीवन सुखमय हो सकता है। जैन समाज के लोगो की धर्म के प्रति भक्ति और श्रद्धा के कारण ही संतो के चरण झुमरी तिलैया की पावन धरती पर पढ़ रहे हैं। संत और गुरु के चरण जहां पढ़ते हैं वहां निश्चित ही कल्याण होता है और यह पूरे झुमरीतिलैया वासियों के लिए बहुत ही खुशी और पुण्य की बात है। महापुरुष के चरण जिस स्थान पर पड़ते हैं वहां पर सत्य अहिंसा और शांति का दिव्य घोष होता है। लोगों को सकारात्मक सोच की ऊर्जा मिलती है। व्यक्ति यदि हमेशा खुश रहना चाहता है तो अपने दुख में ही सुख को खोजें धर्म की प्रभावना और समाज के कल्याण के लिए हमेशा तन मन धन से सहयोग करें और हमेशा धर्म कल्याण में जरूरतमंदों के प्रति दान की भावना रखें। यदि व्यक्ति के पास पैसा नहीं है तब भी वह धर्म और समाज की रक्षा के लिए शरीर से श्रम से योगदान दें और यही सबसे बड़ा दान है। आज मनुष्य अपने दुख से दुखी नहीं है वह दूसरों के सुख से दुखी है। यही कारण है कि व्यक्ति हमेशा डिप्रेशन में जा रहा है और बीमारी ग्रस्त रह रहा है। दूसरों की निंदा में अपना जीवन व्यर्थ ना कर धर्म के मार्ग पर चलें इसी लक्ष्य से जीवन आनंदमय बन सकता है।
ये थे मौजूद

मौके पर कार्यक्रम के संयोजक प्रदीप जैन छाबड़ा, सुशील जैन छाबड़ा, चुन्नी लाल, प्रदीप छाबड़ा, सुरेश झांझरी, मूल चंद सुशील छाबड़ा, समाज के अध्यक्ष विमल बड़जात्या, उपाध्यक्ष कमल सेठी, प्रदीप पांड्या, मंत्री ललित सेठी, उप मंत्री राज जैन छाबड़ा, कोषाध्यक्ष सुरेंद्र जैन काला, सरोज जैन भंडारी, सुनील जैन, सुरेश नरेंद्र जैन, झांझरी जैन, रूप चंद, सुलोचना देवी पांड्या, महिला संगठन की अध्यक्षा नीलम जैन सेठी, सचिव आशा जैन गंगवाल, सुनीता सेठी, बालिका संगठन की ईशा, निधि, चहेती, पूर्वी, देशना, जैन समिति के राजीव जैन छाबड़ा, सुमित जैन, पीयूष जैन, संजय छाबड़ा सहित जैन समाज के मीडिया प्रभारी नवीन जैन और राजकुमार जैन अजमेरा मौजूद थे।