मुुंबई के लाल बाग के राजा विराजे गिरिडीह में, श्रद्धालुओं ने किया पूजा-अर्चना
महामारी के कारण दुसरे साल भी गणेश पूजा पर श्रद्धालुओं में रहा मायूसी
गिरिडीहः
कोरोना संक्रमण के बीच दुसरा साल गणपति बप्पा भगवान गणेश की अराधना गिरिडीह में भी हो रहा है। गणेश चतुर्थी को लेकर जो उत्साह रहना चाहिए। वह कहीं नहीं दिखा। ना ही भव्य पंडाल का निर्माण हुआ और ना ही लाईटों की सजावट। यहां तक कि शहरी क्षेत्र समेत पूरे जिले में कहीं भव्य प्रतिमा भी स्थापित नहीं हुई। और ना ही मूर्तिपूजन स्थलों में भजन ही सुनने को मिले। श्रद्धालुओं ने बड़े मायूसी के बीच तीन से चार फीट उंची मूर्ति स्थापित कर गणपति बप्पा का आह्वान किया। तो आयोजकों द्वारा साधारण पंडाल का निर्माण और मामूली सजावट के बीच मूर्ति स्थापित की गई। लेकिन इसी महामारी के दुसरे साल के बीच शहर के बीबीसी रोड के आजाद नगर स्थित न्यू भारतीय क्लब के सदस्यों ने महाराष्ट्र के मुंबई से चार फीट के लाल बाग के राजा के तर्ज पर गणपति बप्पा की मूर्ति मंगाकर स्थापित किया है। वैसे पूरे जिले में यह पहला मौका है जब किसी पूजा समिति की और से किसी देवता की मूर्ति को मुंबई से मंगाकर भव्य पंडाल में स्थापित किया गया। लाल बाग के राजा के तर्ज पर ही न्यू भारतीय क्लब के सदस्यों में कृष्णा तूरी और उदय रजवान समेत अन्य सदस्यों ने मुंबई से मूर्ति मंगाकर पंडाल में स्थापित किया। और शुक्रवार को गणेश चतुर्थी के मौके पर गणपति बप्पा का आह्वान किया।
इधर दोनों सदस्यों ने बताया कि मूर्ति पूरी तरह से मिट्टी की बनी हुई है। इसे मुंबई के विर्लेपार्ले इलाके के मूर्तिकार से तैयार कराकर गिरिडीह मंगाया गया। सदस्यो ंने मूर्ति तैयार कराने से लेकर गिरिडीह तक लाने का खर्च 40 हजार के करीब बताते हुए कहा कि मूर्ति को 15 दिनों के भीतर मंगाया गया। बहरहाल, महामारी के बीच गिरिडीह में पहली बार किसी पूजा समिति द्वारा लाल बाग के राजा के तर्ज पर मुंबई से मूर्ति मंगाकर स्थापित करना चर्चा का विषय बना हुआ है।
इधर गणेश पूजा को लेकर ही शहर के अलग-अलग पूजा पंडालांे में गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित कर श्रद्धालुओं ने भगवान गणेश की पूजा-अर्चना किया। तो विध्नहर्ता को प्रसाद का भोग भी लगाया। पूजा-अर्चना के बाद पूजा समितियों द्वारा श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण किया गया। कमोवेश, महामारी के बीच भक्तों में आस्था देखी गई।