हिंदू शरणार्थी मतुआ समुदाय पष्चिम बंगाल में भाजपा के लिए खास
सीएए लागू होने का है मतुआ समुदाय को इंतजार, उठने लगी है सीएए लागू करने की मांग
कोलकाता। बंगाल में एससी आबादी का दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा मतुआ समुदाय है। वर्ष 2019 के दिसंबर सीएए बिल पास किया गया जिससे बांग्लादेश, अफगानिस्तान, पाकिस्तान व अन्य पड़ोसी देशों से आये शरणार्थियों को नागरिकता मिलने वाली है। इस बिल का सबसे अधिक फायदा मतुआ समुदाय को ही होगा। भाजपा को इस समुदाय का समर्थन मिलता रहा है। एक साल पहले मतुआ समुदाय के लोगों के बीच पहुंचकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने समूह में भोजन किया था। बंगाल में मतुआ समुदाय का वोट महत्वपूर्ण भी है। क्योंकि यहां लगभग 72 लाख मतुआ समुदाय के लोग रहते हैं जिन्हें किसी तरह का कोई आष्वासन नहीं, बल्कि केवल नागरिकता चाहिये।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में मतुआ समेत अन्य शरणार्थियों का समर्थन भाजपा को मिला था। ऐसे में तृणमूल और भाजपा दोनों के लिए ही 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले मतुआ वोट कितना अहम है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। वर्ष 2001 की गणना के अनुसार, बंगाल की 1.89 करोड़ एससी आबादी में 33.39 लाख यानी 17.4 प्रतिशत आबादी नमोशूद्र है।
कहते हैं कि नमोशूद्र की आधी आबादी मतुआ समुदाय की है। धार्मिक प्रताड़ना के कारण वर्ष 1950 से मतुआ बंगाल में आ गये। मतुआ संप्रदाय वर्ष 1947 में देश विभाजन के बाद हिंदू शरणार्थी के तौर पर बांग्लादेश से यहां आया था। 2011 की जनगणना के अनुसार बंगाल में अनुसूचित जाति की आबादी 1.84 करोड़ है, जिसमें मतुआ संप्रदाय की आबादी तकरीबन आधा है। वैसे तो कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है, लेकिन मतुआ संप्रदाय को लगभग 70 लाख की जनसंख्या के साथ बंगाल का दूसरा सबसे प्रभावशाली अनुसूचित जनजाति समुदाय माना जाता है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को समर्थन देने के बाद अब मतुआ समुदाय के लोग नागरिकता देने की मांग कर रहे हैं।
अबतक सीएए लागू नहीं करने को लेकर बनगांव के भाजपा सांसद शांतनु ठाकुर भी पार्टी से नाराज हो गये थे, जिसके बाद भाजपा नेता तथागत राय ने उनके घर जाकर उन्हें मनाया था। ऐसे में यह तो जाहिर है कि सीएए कानून लागू करने में हो रही देरी को लेकर अब नाराजगी बढ़ने लगी है। 19 अक्टूबर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा गत बंगाल आये थे तो सीएए लागू होने में देरी को लेकर उनसे प्रश्न पूछा गया था जिसके जवाब में उन्होंने कहा था कि कोरोना के कारण सीएए लागू करने में देरी हो रही है। इसकी प्रक्रिया चालू है और जल्द इसे लागू किया जाएगा। भाजपा के कई नेताओं का कहना है कि राज्य में सीएए लागू करने में हो रही देरी का नुकसान भाजपा को विधानसभा चुनाव में पहुंच सकता है। शरणार्थी वोटर और विशेषकर मतुआ वोट भाजपा के खिलाफ जा सकता है।