स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के पत्रांक 415 के आलोक में उच्च न्यायालय ने की सुनवाई
- झारखंड राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ ने न्यायलय के आदेश का किया स्वागत
- माध्यमिक विद्यालयों में प्रभारी प्रधानाध्यापक मामले को लेकर न्यायालय के शरण में गया था संघ
गिरिडीह। झारखंड राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ झारखंड की अगुवाई में अनिता कुमारी व अन्य बनाम झारखंड सरकार के द्वारा डब्ल्यूपीएस 1202 की 2021 की झारखंड उच्च न्यायालय ने स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के पत्र संख्या 415 के आलोक में सुनवाई की है। जिसका संघ ने स्वागत किया है। सुनवाई के दौरान जज ने झारखंड के माध्यमिक विद्यालयों में प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में विभाग द्वारा माध्यमिक वरीय शिक्षकों की जगह प्लस टू के शिक्षकों को प्रभारी बनाने के मुद्दे पर सरकारी वकील को आड़े हाथों लेते हुए जज ने पूछा कि इन विद्यालयों में क्या प्रधानाध्यापक के पद सृजित नहीं है, जो प्रभारी प्रधानाध्यापक के हवाले शिक्षा विभाग को किया जा रहा है।
जज ने मामले में कहा है कि माध्यमिक विद्यालयों में वर्तमान में प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में कार्यरत स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक जिनकी योग्यता मास्टर डिग्री के साथ बीएड है कार्य करते रहेंगे और विभाग प्रधानाध्यापकों के नियुक्ति से संबंधित दस्तावेजों और अभिलेखों के साथ कोर्ट में उपस्थित होगें।
संघ से जुड़े शिक्षक मुन्ना प्रसाद कुशवाहा ने कहा कि झारखंड के माध्यमिक विद्यालयों में प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में कई स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक कार्य कर रहे हैं। जिन की योग्यता मास्टर डिग्री के साथ साथ बीएड और 20-25 सालों का कार्यानुभव है। ऐसी परिस्थिति में विभागीय लापरवाही के कारण 24 साल पर वरण वेतनमान न देना स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों के साथ सरासर अन्याय है। कहा कि सरकार लगातार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की ओर समर्पित है और ऐसे में विभागीय पदाधिकारी प्रभारी-प्रभारी के खेल में विभाग को उलझाने में लगे हैं, जो माध्यमिक शिक्षा नियमावली के प्रतिकूल है।
कहा कि माननीय उच्च न्यायालय के 415 पर तत्काल प्रभाव से रोक ऐसे तानाशाही आदेश पर अंकुश लगाने का पहला कदम है। कहा कि झारखंड राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ झारखंड का इकलौता संघ है जिसने मूल माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत योग्यताधारी वरीय शिक्षकों को नजरअंदाज करते हुए मूल स्थापना के विपरीत पीजीटी के शिक्षकों को प्रभार देने से संबंधित आदेश को चुनौती दी। जिले से लेकर राज्य तक प्रदेश नेतृत्व की अगुवाई में हम लड़े और भविष्य में भी इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने के लिए संघर्ष जारी रहेगा। बगैर प्राचार्य के पद स्वीकृत किए और प्रधानाध्यापक के स्थापना के मूल पद पर चोट करने की साजिश झारखंड राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ खत्म करेगी।
यह प्रदेश नेतृत्व के संघर्ष का ही नतीजा है कि 2006 के विज्ञापन में शॉर्टलिस्टेड प्रधानाध्यापकों को नियुक्त ना करके अफसरशाही का नमूना पेश किया है और आज माननीय उच्च न्यायालय का फटकार के बाद इतने वर्षों तक विचाराधीन रखते हुए उसे लागू करने के लिए विभाग तत्पर दिख रहा है। झारखंड राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ और कहीं महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर जिसमें सब्सिडियरी विषय में नियुक्त शिक्षकों और विभागीय तानाशाही के कारण 24 वर्षीय प्रवरण वेतनमान न देना जैसे मुद्दों को लेकर संघर्ष करेगा।
न्यायालय के आदेश पर खुशी व्यक्त करते हुए गिरिडीह के स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों ने संघ के प्रति आभार व्यक्त किया और अधिक ताकत से संघर्ष करने का संकल्प लिया ।
बताया कि इस मुहिम में उनके अलावे जिले के साथी घनश्याम गोस्वामी, मनोज रजक, शमा परवीन, विनोद कुमार यादव, खूब लाल पंडित, श्यामदेव राय, महेंद्र कुमार, केडी दास, पंकज कुमार सिंह, सुशील कुमार, अख्तर अंसारी, उप्पल एशियन, हरेंद्र नीलकंठ मंडल, मदन राय, अली अहमद, मिथुन राज, सुधांशु शरण, दीपक राय, मनोज वर्मा सहित सभी शिक्षकों ने सहयोग रहा है।