विश्व जल दिवस पर गिरिडीह पीएचईडी ने किया संवाद कार्यक्रम का आयोजन
गिरिडीहः
विश्व जल दिवस पर मंगलवार को जल जीवन मिशन के तहत गिरिडीह पीएचईडी ने जिला स्तरीय संवाद का आयोजन किया। संवाद का आयोजन नए समाहरणालय भवन के सभागार में हुआ। वहीं संवाद के बाद डीसी नमन प्रियेंश लकड़ा ने पीएचईडी के तीन जल गुणवत्ता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस बीच सभागार में आयोजित जिला स्तरीय संवाद में डीडीसी शशिभूषण मेहरा के साथ डीआरडीए निदेशक आलोक कुमार, समाज कल्याण पदाधिकारी अलका हेम्ब्रम समेत कई पदाधिकारी शामिल हुए। संवाद कार्यक्रम के दौरान कई पदाधिकारियों ने अपने-अपने विचारों को रखा। वहीं डीडीसी शशिभूषण ने गिरते भूजल पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि पृथ्वी का एक-एक प्राणी बगैर जल के अधूरा है। इसके बाद भी किसी का ध्यान भूजल को लेकर है ही नहीं। सरकार की हर योजनाएं इस दिशा में कार्य कर रही है। लेकिन उन योजनाओं का पूर्ण फायदा बगैर जनभागीदारी के संभव नहीं।

डीआरडीए निदेशक आलोक कुमार ने कहा कि गिरता भूजल का समाधान सिर्फ वाॅटर रिर्चाजेबल नहीं। बल्कि, इसका पूरा समाधान पानी की बर्बादा रोकना है। डीआरडीए निदेशक ने कहा कि भूजल को गिरने से रोकने के साथ जल की गुणवत्ता बनाएं रखना भी बेहद जरुरी है। इधर संवाद के दौरान पीएचईडी के सहायक अभियंता पंकज प्रसून ने जल जीवन मिशन के तहत जिले के कई घरों पर लग चुके नल की उपलब्धि की जानकारी देते हुए बताया कि पूरे पूरे जिले में 89 हजार नल घरों में लग चुके है। लेकिन यह लक्ष्य का सिर्फ 20 फीसदी है। आने वाले दिनों में इस योजना में तेजी से कार्य किया जा रहा है। सहायक अभियंता ने कहा कि जल की क्वालिटी जांचने के लिए सरकारी स्तर पर सिर्फ एक प्रयोगशाला है। लेकिन नीजि स्तर पर छह सौ रुपए का शुल्क भुगतान कर हर एक व्यक्ति जल की गुणवत्ता की जांच करा सकता है। क्योंकि जल की गुणवत्ता में अगर क्लोराईड और सल्फरेट अधिक होगा, तो शिशु मृत्युदर भी बढ़ेगा। साथ ही बीमारी भी बढ़ेगी। इधर जिला स्तरीय संवाद में पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता मुकेश कुमार, यूनिसेफ के डीपीसी के सौरभ किशोर, जिला जल स्वच्छता मिशन की समवंयक सुमन कुमारी, एपीसी संस्था के पृथ्वी शुक्ला और जिले की कई जलसहियाएं मौजूद थी।