दिल्ली में हुई जातीय जनगणना कराने हेतु जन आंदोलन निर्माण कैसे हो विषय पर परिचर्चा
- देश में पशु पक्षियों व पेड़ पोधो की गणना होती है पर पिछड़े व सामान्य वर्ग की नही: पूर्व न्यायाधीश
- जाति आधारित जनगणना के लिए ग्रास रूट पर काम करने की जरूरत: राजेश गुप्ता
दिल्ली। इस देश में पशु- पक्षियों, पेड़-पौधे की गणना की जाती है। मगर देश के पिछड़े वर्ग और सामान्य वर्ग की गणना नहीं की जाती है। अंग्रेजों द्वारा अंतिम जनगणना 1931 में की गई थी। उसके आधार पर आज तक इस वर्ग को संवैधानिक रूप से अधिकार दिया हुआ है, जबकि समाज में बहुत तरह के परिवर्तन हुए हैं। उक्त बातें इलाहाबाद हाईकोर्ट के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह यादव ने अति एवं उपेक्षित पिछड़ा वर्ग कल्याण संस्थान और सामाजिक महापरिवर्तन गठबंधन के द्वारा आयोजित अधिवेशन में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कही।
दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में उपेक्षित पिछड़ा वर्ग कल्याण संस्थान और सामाजिक महापरिवर्तन गठबंधन के द्वारा आयोजित जातीय जनगणना कराने हेतु जन आंदोलन निर्माण कैसे हो विषय कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ(प्रो) शिवरतन ठाकुर पूर्व विभागाध्यक्ष अंग्रेजी विभाग पटना ने किया। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज तक भारत सरकार के पास इस वर्ग को जनसंख्या के आधार पर लोकतांत्रिक अधिकार देने के लिए किसी प्रकार का वह आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, जिससे सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक अधिकार देश की सभी जातियों को उनकी जनसंख्या के आधार पर पर्याप्त रूप से दी जा सकें।
कार्यक्रम में शामिल बतौर मुख्य वक्ता ओबीसी मोर्चा के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने कहा कि हमें जाति आधारित जनगणना के लिए ग्रास रूट पर काम करने की जरूरत है। धरना प्रदर्शन भूख हड़ताल और भारत बंद का भी सहारा लेना पड़े तो बंद से पहले गांव, ब्लॉक एवं जिला तक लोगों को जागृत करने के लिए एक रथ यात्रा करना अति आवश्यक है। कहा कि प्रत्येक महीने एक दिवसीय उपवास अपने घर मकान दुकान खलिहान में तख्ती पर जाति जनगणना कराओ का नारा लिखते हुए सोशल मीडिया पर सेंड करना होगा
राष्ट्रीय सचिव ललन भगत ने कहा कि इस देश के मुट्ठी भर लोगों के हाथ में देश का सारा धन,राष्ट्रीय स्रोत सिमट चुका है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष बिंदेश्वरी प्रसाद ठाकुर ने कहा कि इस अधिवेशन में मुख्य मुद्दा है कि भारत में जातिगत जनगणना। जातिगत जनगणना हमारे भारतवर्ष के पूरे समाज के लिए अति आवश्यक है।
मुंबई हाई कोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति बी.एन वाघ, सामाजिक महापरिवर्तन गठबंधन के कोऑर्डिनेटर प्रोफेसर अवधेश कुमार साह, हाईकोर्ट के एडवोकेट जे.एस कश्यप, जोधपुर से आए हुए लूनचंद सिनवाड़िया, मदनपाल सिंह, प्रो.रमाकांत ठाकुर, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सीमा समृद्धि कुशवाहा, अधिवक्ता रामाधार ठाकुर, लल्लन प्रसाद, मुकेश कुमार जायसवाल, ओम प्रकाश गुप्ता, अभिषेक कुमार, राम आशीष बौद्ध, जनहित अभियान के राजनारायण, सेवानिवृत्त बिहार प्रशासनिक सेवा बिनोद कुमार, शिववचन प्रसाद सहित अन्य वक्ताओं ने भी कार्यक्रम को संबोधित करत हुए जातीय जनगणना की अनिवार्यता पर जोर डाला।