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क्रूर तानाशाही सरकार ने ली स्टेन स्वामी की जान : संजय पासवान

कोडरमा। आदिवासी हितों और गरबों के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले झारखंड के जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी (84) के निधन से प्रदेश भर में शोक है। उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिवमंडल सदस्य संजय पासवान ने कहा कि सरकार की क्रूर तानाशाही ने स्टेन स्वामी की जान ली है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार और जांच संस्था एनआईए एक बुजुर्ग को इस दयनीय स्थिति तक पहुंचाने के लिए पूरी तरह जिम्मेवार है। अदालत ने भी इनके मेडिकल और नियमित बेल याचनाओं पर कार्यवाही न कर इस यातना के लिए भागीदारी निभाई है।

आदिवासी अधिकारों के लिए किया था संघर्ष

संजय पासवान ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी ने झारखंड के दूर-दराज के इलाकों में आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया। उन्हें पिछले अक्टूबर में यूएपीए के तहत कथित भीमा कोरेगांव मामले में जेल में डाल दिया गया था। उन्हें गंभीर बीमारियों के इलाज से वंचित कर दिया गया था। विभिन्न मानवाधिकार संगठनों द्वारा एक अभियान चलाए जाने के बाद ही जेल से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन तब तक हिरासत में उसकी मौत को रोकने में बहुत देर हो चुकी थी। जमानत और घर भेजे जाने की उनकी अपील खारिज कर दी गई। उन पर झूठे मामले थोपने, जेल में उनकी लगातार नजरबंदी और अमानवीय व्यवहार के लिए जिम्मेदार लोग जवाबदेही से बच नहीं सकते। यह अनिवार्य है कि भीमा कोरेगांव मामले में जेल में बंद सभी और राजनीतिक रूप से प्रेरित मामलों के तहत अन्य बंदियों को यूएपीए, देशद्रोह आदि जैसे कठोर कानूनों का दुरुपयोग को रोके और राजनीतिक बंदियों की तुरंत रिहा करे।

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