बाबा सम्राट बस हादसे ने 11 माह पूर्व हजारीबाग में हुए दर्दनाक एसएसटी बस हादसे की याद को किया ताजा
- सिवाने नदी में बस के गिरने से हुई थी गिरिडीह के 9 सिखयात्रियों की मौत
- दाह संस्कार के दौरान श्मशान घाट में दिखा फिर वहीं नजारा
- सदर विधायक ने श्मशान घाट पहुंचकर परिजनों को बंधाया ढांढस
गिरिडीह। शनिवार की शाम को बराकर नदी में हुई बस दुर्घटना ने 11 माह पूर्व हजारीबाग जिले के टाटी झरिया के निकट हुए दिल दहला देने वाली गिरिडीह की एसएसटी बस दुर्घटना की याद ताजा करा दी। जिसमें 9 सिख तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी। उस वक्त भी सिख समुदाय के तीर्थयात्रियों से भरी एसएसटी बस टाटी झरिया के समिप सिवाने पुल से नीचे गिरकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। जिसमें 9 लोगों की मौत होने के कारण पूरे शहर का माहौल गमगीन हो गया था।

इस घटना के अभी साल भी पूरे नही हुए थे कि शनिवार की शाम को रांची से गिरिडीह आ रही यात्री बस बाबा सम्राट बराकर नदी में गिरकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। चुंकी बस में यात्रियों की संख्या कम थी और प्रशासनिक स्तर पर तुरंत राहत कार्य शुरू होने के कारण मृतकों की संख्या काफी कम रही। हालांकि घटना के बाद सबसे पहले शहर के बक्सीडीह रोड के रहने वाले संतोष अग्रवाल की मौत सदर अस्पताल में इलाज के दौरान हुई। वहीं राजेन्द्र नगर के रहने वाले मार्केटिंग ऑफिसर सौरभ सिन्हा की मौत नवजीवन नर्सिंग होम में इलाज के दौरान देर रात को हुई। जबकि शहर के मोहलीचुवां के रहने वाले मानिकचंद साव और बस खलासी हजारीबाग के रहने वाले अनील की मौत घटना स्थल पर ही हो गई थी। जैसे परिजनांे को बस दुर्घटना की सूचना मिली सभी भागते हुए सदर अस्पताल पहुंचे। इस दौरान संतोष अग्रवाल और मानिकचन्द साव के शव को देखकर उनके परिजनों की चित्कार से पूरा माहौल गमगीन हो गया।

घटना के दूसरे दिन रविवार को सभी का दाह संस्कार शहर के बरमसिया स्थित मारवाड़ी श्मासान घाट में किया गया। जहां का नजारा भी काफी हृदयविदारक थी। खासकर संतोष अग्रवाल की बेटी ने जब अपने पिता को मुखग्नि दी तो मौके पर मौजूद सभी लोगों की आंखे नम हो गई। हालांकि रविवार को श्मशान घाट पर एक साथ बस दुर्घटना में मारे गए सभी लोगों का अंतिम संस्कार किया गया। जिसके वजह से न सिर्फ घाट पर लोगों की काफी भीड़ जमा थी बल्कि सभी के चेहरे पर भी अपनों के छोड़कर जाने का गम साफ झलक रहा था। इस दौरान सदर विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने भी घाट पर पहुंचकर परिजनों से मुलाकात की और उन्हें ढांढस बंधाया।