सीएम से झुमरीतिलैया की बड़ी आबादी को उजड़ने से बचाने की अपील
कोडरमा। झुमरीतिलैया की एक बड़ी आबादी को उजड़ने से बचाने और नियमों में सरलीकरण कर पूरे नगर पर्षद क्षेत्र में फ्रेश सर्वे कराकर 220 खाता में रह रहे लोगों को मालिकाना हक दिलाने के लिए सीटू के राज्य कमिटी सदस्य संजय पासवान ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को ईमेल के जरिये आवेदन दिया है। मुख्यमंत्री को दिये आवेदन में उन्होने कहा है कि पैसे वालों पर प्रशासन विशेष मेहरबान है और उनके लिए लॉक डाउन के दौरान भी उन्हीं जमीनों का रसीद काटा जा चुका है, जबकि गरीब और मध्यम वर्ग को नोटिस देकर बेवजह परेशान किया जा रहा है। उन्होने मुख्यमंत्री से जिला प्रशासन की कार्रवाई पर अविलंब रोक लगाने की अपील की है।
2012 से ही सरकारी योजनाओं से हैं वंचित
सीटू के राज्य कमिटी सदस्य संजय पासवान ने कहा कि झुमरीतिलैया जिले का मुख्य शहर है जहां की आधी से ज्यादा आबादी खाता 220 की भूमि पर बसी हुई है। हजारों लोग 40-50 वर्ष पूर्व से लगान रसीद और पंजी 2 के आधार पर जमीन खरीदकर और मकान बनाकर रह रहे हैं। उसी आधार पर झारखंड बनने के बाद भी लोगों ने जमीन खरीदे हैं और घर भी बनाए हैं। हालांकि उन्होने कहा कि गैर मजरूआ जमीन की बिक्री गलत तरीके से की गई है, जिसकी जांच होनी चाहिए। उन्होने अवैध तरीके से जमीन खरीद बिक्री करने वाले दोषियों और उन्हें संरक्षण देने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की बात कही। उन्होने कहा कि खाता 220 के अंतर्गत लंबे समय से रह रहे लोगों को नोटिस जारी कर उन्हें परेशान करना जनहित में सही नहीं है। जिसके कारण झुमरी तिलैया के नागरिक दहशत में है। कहा कि वर्ष 2012 में तत्कालीन उपायुक्त शिवशंकर तिवारी ने गैर मजरूआ और 220 खाता की जमीन की रसीद काटने पर रोक लगा दिया था। जिसके चलते झुमरीतिलैया नगर पर्षद क्षेत्र की हजारों गरीब जनता प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ से वंचित रह गए। हजारों लोगों का आज भी जाति, आवासीय प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है, जिसके कारण वे सरकारी योजनाओं से वंचित हैं।
लगान रसीद जारी करने का मिल चुका है आदेश
संजय पासवान ने कहा कि रसीद काटने पर लगी रोक को हटाने के लिए राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग झारखंड सरकार का पत्रांक -5/स०भू०को० (अवैध हस्तांतरण)-123/2016-2861(5)/रा० दिनांक – 08.06. 2017, मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग का पत्रांक -0758 दिनांक – 03.07.2018 तथा वर्तमान मौजूदा सरकार के द्वारा भी विभागीय पत्रांक – 06/भूमि का नियमितीकरण -89/2020,1704/रा० दिनांक 15.07.2020 के माध्यम से वैसे गैर मजरूआ खास भूमि जिसका हस्तांतरण विधिवत जनवरी 1946 के पूर्व निबंधित दस्तावेज द्वारा हुआ है और 1956 से लगातर रसीद निर्गत हो रहा है तथा प्रथम दृष्टया जमाबंदी सही प्रतीत होता है वैसे मामलों में समस्याओं का निराकरण एवं ऑनलाइन रसीद निर्गत करने में सरलीकरण करने और रैयती गैर मजरूआ जमीन की लगान रसीद जारी करने का आदेश जिला प्रशासन को प्राप्त है। जिसे लागू करने में जिला प्रशासन रूची नहीं दिखा रही है।