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आदिवासी समुदाय ने पारसनाथ पहाड़ स्थित दिशोम मांझी थान पूजा स्थल में धूमधाम से मनाया बाह पर्व

  • मधुबन में निकाला गया भव्य जुलूस, हजारों की संख्या में जुटे आदिवासी समाज के लोग

गिरिडीह। जैन समाज के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल गिरिडीह के सम्मेद शिखर पारसनाथ पहाड़ के विवाद के बीच गुरुवार को आदिवासी समुदाय की भारी भीड़ जुटी और इसी सम्मेद शिखर के पारसनाथ पहाड़ मंराग बुरु पहाड़ में संथाली संस्कृति बाह पर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया। आदिवासी समुदाय के इस बड़े और भव्य धार्मिक आयोजन को देखते हुए बड़ी संख्या में गिरिडीह पुलिस मुस्तैद थी। इस दौरान डुमरी एसडीएम प्रेमलता मुर्मु, डुमरी एसडीपीओ मनोज कुमार सहित मधुबन व डुमरी थाना के पुलिस पदाधिकारी और जवान सक्रिय थे।

मंराग बुरु सुंशात बेसी पूजन समिति के बैनर तले बाह पर्व पहाड़ के शुरुआती एक किमी के उपर दिशोम मांझी थान पूजा स्थल में मनाया गया। जहां बाह पर्व को धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान झारखंड के कई जिलों समेत बिहार, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, दिल्ली से आएं हजारों की संख्या में आदिवासी समुदाय के श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया और मंराग बुरु पूजन समिति के पुजारी के संथाली विधी-विधान के साथ पूजा-अर्चना किया।

मौके पर भाजपा नेता नुनूलाल मंराडी, सिकंदर हेम्ब्रम समेत कई राज्यों से आएं आदिवासी समुदाय के श्रद्धालु पांरपरिक वेशभूषा में बाह पर्व में शामिल हुए। इस दौरान फूलों और पौधों से आयोजन समिति ने प्रकृति की उपासना किया। इससे पहले सुंशात बेसी के नेत्तृव में ही पूरे मधुबन में आदिवासी समुदाय की और से भव्य जुलूस निकाला गया। जुलूस में भाजपा नेता नुनूलाल मंराडी, सिकंदर हेम्ब्रम समेत सैंकड़ो की संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग शामिल हुए। पांरपरिक नगाड़ो की थाप पर निकले इस जुलूस में वृद्ध से लेकर युवा तक पांरपरिक वेशभूषा में शामिल हुए और मांदर व नगाड़े बजाते हुए संथाली नृत्य करते हुए पूरे मधुबन का भ्रमण कर सम्मेद शिखर मंराग बुरु पहाड़ में चढ़े। जहां दिशोम मांझी थान में आदिवासी समुदाय के देव मंराग बुरु की पूजा-अर्चना पूरे संथाली विधी-विधान के साथ किया गया। इस दौरान हर किसी ने पूरे भक्तिभाव के साथ मत्था भी टेका।

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