बाल विवाह के खिलाफ बनवासी विकास आश्रम ने निकाला मशाल जुलूस, जलाए कैंडल
- बाल विवाह का दंश झेल रही महिलाएं व पुरूषों ने किया नेतृत्व, सुनाई अपनी व्याथा
गिरिडीह। पूरे देश में चल रहे “बाल विवाह मुक्त भारत” अभियान के तहत गैर सरकारी संगठन बनवासी विकास आश्रम व कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन के बैनर तले बाल विवाह से पीड़ित महिलाओं ने गाँव गांव मे मशाल जुलुस व कैंडल मार्च निकालकर बाल विवाह से बचने की गुहार लगाई। साथ ही कस्तूरवा गाँधी बालिका आवासीय विद्यालय गिरिडीह, बगोदर, जमुआ, बेंगाबाद इत्यादि आवासीय विद्यालयों मे दीवाली के पूर्व ही दीवाली मनाकर बाल विवाह मनाही का संदेश दिया। इस दौरान जिला बालिका शिक्षा प्रभारी रानू बोस, यूनिसेफ़ के ग्नोरी विश्वकर्मा, वार्डन मंजू दास, रूबी पाण्डेय, सेल बाला कुमारी इत्यादि की भूमिका सराहनीय रही।
बेंगाबाद महुआर की महिला लीडर रोशन ऐयर, निखित प्रवीण ने मुखिया राजेंद्र प्रसाद के साथ मिलकर मशाल जुलुस निकाला। वहीं बगोदर प्रखंड के विभिन्न गाँव मे हुए कैंडल मार्च का नेतृत्व बाल विवाह पीड़िता सह समुदाय स्तरीय कार्यकर्ता भागीरथी देवी, यशोदा देवी ने किया। जअकि चिरकी का नेतृत्व चांदनी मरांडी ने किया। बेंगाबाद मे बिनोद कुमार बर्मा और गांडेय प्रखंड मे राजेश यादव ने नेतृत्व किया।
संस्था की सदस्य भगीरथी देवी ने कहा कि चुंकि मैं खुद भी बाल विवाह का दर्द झेल चूकी हूँ। जिसमें मेरा अनुभव बहुत खराब रहा है। बड़े संघर्ष के बाद मैं अपनी पढ़ाई पूरी कर पाई हूँ। वहीं बनवासी विकास आश्रम के सचिव सुरेश कुमार शक्ति ने कहा कि बाल विवाह मुक्त भारत अभियान देश के 300 से भी ज्यादा जिलों में चलाया जा रहा है। भारत से 2030 तक बाल विवाह के समग्र खात्मे के लक्ष्य के साथ पूरी तरह से महिलाओं के नेतृत्व में चल रहा है। इस अभियान से देश के 160 गैर सरकारी संगठन जुड़े हुए हैं। सोलह अक्टूबर को इस अभियान के एक साल पूरे हुए। इस अर्से में पूरे देश में हजारों बाल विवाह रुकवाए गए और लाखों लोगों ने अपने गांवों और बस्तियों में बाल विवाह का चलन खत्म करने के लिए गांवों में शाम के समय सूरज ढलने के बाद लोगों ने हाथों में मशाल और कैण्डल लेकर मार्च किया।