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गुरुनानक देव की 553वीं जयंती पर निकली भव्य शोभा यात्रा, वाहे गुरु के जयकारे से गुंजा शहर

  • रागी जत्था व महिला सत्संग की महिलाओं के द्वारा प्रस्तुत किए गए भजन
  • यूपी के अरोहा से आए हुए टीम ने हैरतअंगेज कारनामों का किया प्रदर्शन

गिरिडीह। सिक्खो के प्रथम गुरू गुरूनानक देव की 553वीं जयंती के मौके सोमवार को गुरू सिंह सभा से गुरूनानक देव जी की भव्य शोभा यात्रा निकाली गयी। शहर के रेलवे स्टेशन से शोभा यात्रा निकलकर मुस्लिम बाजार, कालीबाड़ी, टावर चौक, मकतपुर चौक होते हुए वापस स्टेशन रोड स्थित प्रधान गुरूद्वारा पहुंची। शोभा यात्रा में सिक्ख समाज के सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरूष व बच्चे शामिल हुए और शहर का भ्रमण किया। इस दौरान रागी जत्था व महिला सत्संग की महिलाओं के द्वारा कई भजन प्रस्तुत किये गये। जिसे सुनकर संगत निहाल हो गयी। इस दौरान नगर कीर्तन में फूलों से सजे वाहन में गुरु ग्रंथ साहिब का भव्य दरबार सजा हुआ था। वहीं शोभा यात्रा में पंज प्यारे और पंज प्यारिया हाथ में निशान साहेब लिये हुए चल रहे थे।

वहीं बड़ा चौक पर शोभा यात्रा के पहुंचने पर यूपी के अरोहा से आए हुए शहीद बाबा दीप सिंह की गदका टीम ने हैरतअंगेज प्रदर्शन किया। अग्नि चक्र में तलवार के खेल, तो आंख में पट्टी बांध कर तलवार से जोखिम भरे खेल समेत कई हैरत और रोमांच से भरे खेलो का प्रदर्शन किया। गटका टीम के कलाकारों का खेल देखने के लोगों की भीड़ जमा हो गई।

गुरूनानक जयंती के उपलक्ष्य में शोभा यात्रा में शामिल लोगों के लिए कई जगहों पर नास्ता व लस्सी की व्यवस्था की गई थी। इस क्रम में समाजसेवी विनोद सिन्हा की ओर से नास्ता की व्यवस्था की गई थी। वहीं पूर्व विधायक निर्भय शाहाबादी की ओर से जिला परिषद के समीप नगर कीर्तन का स्वागत किया गया। इस बीच गटका टीम बाबा दीप सिंह एंड पार्टी के प्रमुख ने कहा की गुरु नानक देव जी ने मानवता की रक्षा को बड़ा धर्म बताया था। और ये सारे खेल इसी मानवता की रक्षा के लिए बने है। किसी पर अत्याचार के लिए।

इधर गुरुद्वारा सिंह सभा के सेवक सतविंदर सिंह सलूजा ने कहा की गुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव पर नगर कीर्तन का आयोजन किया गया है। दो साल की महामारी के बाद सिख समुदाय की ओर से भव्य रूप में नगर कीर्तन निकाला गया है। क्योंकि गुरु नानक देव जी का कहना था कि पहले मानवता की सेवा सबसे बड़ी सेवा है। शोभा यात्रा में गुरूद्वारा गुरूसिंह सभा के अध्यक्ष गुणवंत सिंह सलुजा, सचिव नरेंद्र सिंह सलुजा उर्फ सम्मी, अमरजीत सिंह सलुजा, सतविंदर सिंह सलुजा, तरणजीत सिंह, मनमीत सिंह, हरमिंदर सिंह बग्गा, परमजीत सिंह, सम्मी सलुजा के अलावा गुरूदीप सिंह बग्गा, राजू सिंह दुआ, कुशल सलुजा, चिरंजीव सिंह, राजेंद्र सिंह, गिन्दर सिंह, गुरूदीप सिंह बग्गा, तरनजीत कौर, डिम्पी कौर खालसा, सुखदीप कौर, सोनम कौर समेत भारी संख्या में सिख समाज के लोग उपस्थित थे।

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