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कारनामों के कारण छवि सुधारने में गिरिडीह पुलिस को उठाना पड़ रहा है फजीहत, दुष्कर्म के मामले में जांच और मेडिकल कराएं बगैर पचंबा पुलिस ने आरोपी को दे दिया क्लीनचिट

गिरिडीहः
ससुर पर दुष्कर्म का आरोप लगाकर एक महिला न्याय पाने गिरिडीह के पचंबा थाना पहुंची। तीन दिन पहले ही पीड़िता पचंबा थाना पहुंची। इस दौरान पीड़िता ने पुलिस को सेवानिवृत कर्मी ससुर सुखदेव पासवान के खिलाफ आवेदन भी दी। पीड़िता के आवेदन के आधार पर पुलिस आरोपी ससुर को पूछताछ के लिए हिरासत में ली। और उसी दिन थाना से उसे छोड़ दिया गया। हद तो तब हो गया जब तीन दिन बाद भी पुलिस ने पीड़िता के आवेदन पर कोई केस दर्ज नहीं किया। और ना ही उसका मेडिकल जांच ही कराई, कि वाकई पीड़िता के साथ दुष्कर्म की कोई घटना हुआ भी या नहीं। यहां तक पुलिस ने महिला के पति से मामले की सच्चाई जानने का ही प्रयास की। इस दौरान मामले की जानकारी लेने पर पचंबा के पुलिस निरीक्षक अनिल कुमार ने पूरे मामले को गलत ही बता दिया। और कहा कि जब कोई दुष्कर्म की घटना हुई ही नहीं। तो फिर एफआईआर क्यों, और पीड़िता का मेडिकल जांच किस आधार पर। पुलिस निरीक्षक अनिल कुमार से जब यह पूछा गया कि आखिरकार महिला अपने ससुर पर ही इतने गंभीर आरोप क्यों और किस आधार पर लगा रही है तो बगैर जांच और अनुसंधान के ही पुलिस निरीक्षक ने कह दिया कि महिला इसे पहले भी ससुर पर इस तरह के आरोप लगा चुकी है। लेकिन क्यों लगा रही है इसकी जानकारी उन्हें भी नहीं। पुलिस निरीक्षक ने दुष्कर्म जैसे गंभीर मामले में अनुसंधान और मेडिकल जांच कराएं बगैर आरोपी ससुर को क्लीनचिट दिया जाना। फिलहाल यही साबित करता है कि भले ही गिरिडीह पुलिस अपने छवि को स्वच्छ करने के प्रयास में है। लेकिन साफ छवि की बात करना तो दूर, यहां पुलिस अपने कारनामों के कारण पहले से ही कई दाग लगा चुकी है।
जबकि दुसरी तरफ ससुर के दुष्कर्म की शिकार पीड़िता न्याय पाने के लिए कभी एसपी कोठी के चक्कर लगा रही है तो कभी एसपी से मिलने का प्रयास कर रही है। लेकिन एसपी तक वो पहुंच नहीं पा रही। और ना ही एसपी तक उसके फरियाद को पहुंचाया ही जा रहा है। लिहाजा, पीड़ित महिला तीन दिनों से सिर्फ इसलिए परेशान है कि उसके साथ हुए गलत का न्याय चाहिए। जिसे दिलाने में पचंबा पुलिस फिलहाल नाकाम रही।

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