डीवाईएफआई ने बापु की शहादत दिवस पर किया उन्हें याद
- गांधी की हत्या करने वाली विचारधारा आज भी जिन्दा है: संजय पासवान
कोडरमा। भारत की जनवादी नौजवान सभा (डीवाईएफआई) ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी शहादत दिवस पर याद करते हुए सांप्रदायिकता विरोधी दिवस के रूप में मनाया। महावीर मुहल्ला में आयोजित कार्यक्रम में सर्वप्रथम बापु की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। जहां महात्मा गांधी अमर रहे, गांधी हम शर्मिंदा हैं तेरे कातिल जिन्दा है आदि नारे लगाये गये।
डीवाईएफआई के जिलाध्यक्ष परमेश्वर यादव की अध्यक्षता में हुई श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए डीवाईएफआई के राज्य सचिव संजय पासवान ने कहा कि महात्मा गांधी की हत्या की जब जब कोशिश हुई तब उन्होंने कभी प्रतिरोध नहीं किया। बल्कि सदैव अपने विरोधी के सामने सीना तानकर खड़े रहे। अपनी हत्या का प्रयास करने वाले किसी भी हमलावर पर उन्होंने मुकदमा भी नहीं चलवाया। आखिर में जब उन्हें गोली मारी गई तब भी उन्होंने कोई प्रतिरोध नहीं किया। बल्कि हे राम’ कह कर अपने प्राण त्याग दिए। सवाल उठता है कि कौन हैं वे लोग जो गांधी को मारने के चौहत्तर साल बाद फिर मारने के लिए ढूंढ रहे हैं, वे अंग्रेज तो नहीं हैं, जबकि अंग्रेजी हुकुमत के विशाल साम्राज्य को उखाड़ फेंकने में गांधी ने सबसे बड़ा योगदान दिया था। जो लोग गांधी की हत्या पर गौरवान्वित होते हैं, वे फिर उनकी हत्या यानी उनके विचारों की हत्या का आह्वान करते हैं, लेकिन उन्हें मालूम होना चाहिए कि विचार कभी मरते नहीं हैं।
कहा कि देश का दुर्भाग्य है कि गांधी की हत्या करने वाली विचारधारा आज भी जिन्दा है और देश की सत्ता पर काबिज है। कर्मचारी नेता दिनेश रविदास ने कहा कि यह देश विभिन्न धर्मों, भाषाओं और संस्कृति का देश है और साझा संस्कृति को आरएसएस तोड़ने की कोशिश कर रहा है। डीवाईएफआई के जिला सचिव सुरेंद्र राम ने कहा कि देश की सार्वजनिक सम्पत्तियों को बेचकर देश को गुलामी के रास्ते पर ले जाया जा रहा है। एसएफआई के छात्र नेता मुकेश यादव ने कहा कि रेलवे भर्ती बोर्ड देश के लाखों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है, लेकिन बिहार और यूपी के छात्रों का आंदोलन ही भाजपा सरकार को देश की सत्ता से उतार फेंकेगा।
कार्यक्रम में सचिन यादव भोला यादव विजय सिंह, तुलसी दास, जगदीश दास आदि मौजूद थे।