महिला यात्री ध्यान दें ट्रेन में मदद के लिए मौजूद है मेरी सहेली
कुलदीप कुमार
कोडरमा। कोरोना काल में बदलते पारिवारिक परिवेश के कारण लड़के एवं लड़कियां घर छोड़कर भाग रहे हैं। पकड़े जाने पर आरपीएफ युवक-युवतियों को उसके घर तक पहुंचाने का सफल कार्य कर रहे हैं। मगर इसकी भी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि इन अबोध युवक युवतियां मानव तस्करी गिरोह का शिकार ना हो जाए। इसकी रोकथाम के लिए आरपीएफ ने मेरी सहेली की शुरुआत की है। यह अभियान महिलाओं के लिए काफी हद तक सार्थक साबित हो रहा है। इसमें आरपीएफ की महिला टीम सदैव तत्पर रहती है। ट्रेन में सफर करने वाले महिला और युवती का नाम और नंबर भी नोट किया जाता है, और जरूरत पड़ने पर उनसे सफर के दौरान फीडबैक ली जाती है। किसी महिला यात्री को शिकायत होती है, तो रनिंग ट्रेन के स्क्वायड टीम को इसकी सूचना दी जाती है और तत्काल ही इसका समाधान भी होता है। पिछले 72 घंटों में कोडरमा स्टेशन पर मेरी सहेली के तहत तीन युवतियों को उसके परिजनों से मिलाया गया। जो घर में हुए डांट से गुस्से में आकर घर छोड़कर शहर से बाहर भागने की तैयारी में थी।
72 घंटे में तीन युवतियों को परिजनों से मिलाया
आरपीएफ की मेरी सहेली ने स्टेशन में प्लेटफार्म पर गुमसुम अवस्था में बैठी युवतियों से पूछताछ की और परिणाम यह सामने आया कि तीनों युवतियां अपने परिवार से गुस्सा के कारण घर छोड़कर कोडरमा स्टेशन पहुंच थी और इसमें मेरी सहेली को सीसीटीवी फुटेज के जरिए सफलता मिली और बच्चियों को उनके परिवार तक पहुंचाने में सफल हुए। बताते चलें कोडरमा में आरपीएफ के निरीक्षक प्रभारी जवाहरलाल उपनिरीक्षक प्रभारी रोहित प्रताप सिंह आरक्षी पप्पू यादव के अलावा महिला आरक्षी किरण कुमारी साधना कुमारी प्रीति कुमारी ने इन तीनों युवतियों को रेस्क्यू किया है। पहला मामला 12 जुलाई का है जहां की 15 वर्षीय युवती सेजल कुमारी पिता महेंद्र कुमार लखीबागी को कोडरमा स्टेशन परिसर में गुमसुम अवस्था में देखा गया और इसकी मां डोली देवी को सुपुर्द किया।यह मामला अभी पूरी तरह से भूले भी नही थे कि सोमवार को नवादा बिहार निवासी मेहनाज अंसारी की 15 वर्षीय पुत्री सादिका साबिया को भी अकेले देखकर रेलवे प्रशासन टीम के द्वारा पुछे जाने पर पता चला कि घर में डांट पड़ने के कारण भाग निकली है उसे भी उसकी मां सबीना को सुपुर्द किया। वही ताजा मामला मंगलवार की रात्रि का है जहां डोमचांच निवासी अशोक मेहता की 15 वर्षीय पुत्री काजल कुमारी भी कोडरमा स्टेशन अपने परिवार के साथ लड़ाई झगड़ा कर पहुंची।जिसे आरपीएफ की टीम गश्ती के दौरान प्लेटफार्म नं 4 पर अकेले देखा गया और रेश्क्यू कर देर रात होने के कारण युवती को चाइल्ड लाइन की सदस्य ज्योति कुमारी को सुपुर्द किया।
बिछड़े को मिलाने का कार्य कर रही आरपीएफ रू कमांडेंट
धनबाद रेल मंडल के आरपीएफ कमांडेंट हेमंत कुमार ने दूरभाष पर बताया कि आरपीएफ के द्वारा मेरी सहेली अभियान के तहत बिछड़ों को मिलाने का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि कोडरमा झारखंड बिहार का बॉर्डर एरिया है और यहां से कई लोग ट्रेन पकड़ते हैं। कोडरमा में सीसीटीवी कैमरा के जरिए तीन युवतियों को परिवार से वापस मिलाने का कार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि झारखंड में मानव तस्करी का मामला भी बढा है और इसको लेकर धनबाद रेल मंडल में अलर्ट भी जारी जारी किया गया है। महिला और बच्चों की सुरक्षा मे आरपीएफ महत्ती भूमिका निभा रहा है। कमांडेंट ने कहा कि रेल में आधी से अधिक महिलाएं अकेले सफल करती है। ऐसे में मेरी सहेली के तहत ट्रेनों में सुरक्षा का दायित्व आरपीएफ टीम संभाल रही है ।कोडरमा सहित विभिन्न स्टेशनों पर महिला पुलिस की तैनाती भी की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी महिला यात्री या किसी भी यात्री को यात्रा के दौरान कोई समस्या हो तो 139 पर सूचना दे सकते हैं और इसके बाद आरपीएफ या टीटी सहयोग करेंगे।




