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51वां स्थापना दिवस पर सीटू ने लिया मजदूरों में एकता बनाने का संकल्प

कोडरमा। सेन्टर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) का 51 वां स्थापना दिवस रविवार को मनाया गया। इस दौरान श्रम और पूंजी के संघर्ष में मजदूरों की एकता को और मजबूत करने का संकल्प लिया गया। वहीं विभिन्न स्थानों पर मजदूरों ने सीटू का लाल झंडा फहराया शासक वर्ग के षड्यंत्रों को ढ़ाहते हुए आगे बढ़ने का संकल्प लिया।

मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था को किया खोखला रू संजय पासवान

कार्यक्रम के दौरान मजदूर नेता और सीटू राज्य कमिटी सदस्य संजय पासवान ने मजदूर आंदोलन में सीटू की एकता और संघर्ष के 51 साल के गौरवशाली इतिहास को याद करते हुए कहा कि देश के सबसे जुझारू और संघर्षशील केन्द्रीय मजदूर संगठन सीटू की इन सफलताओं में सैकड़ों कार्यकर्ताओं व नेताओं की कुर्बानी है। अपनी जान तक गंवाकर भी लाल झण्डा उठाए रखने का योगदान है। 1970 मे अगर सीटू नहीं बनता तो बहुत मुमकिन था कि देश का श्रमिक आंदोलन अपनी धार ही नहीं बल्कि अस्तित्व भी खो बैठता। अपने श्रम से देश के लिए अकूत धन पैदा करने वाले मजदूरों को शासक वर्ग हाशिए पर धकेलने की साजिश कर रहा है। मजदूरों को गुलाम बनाने के लिए संविधान मे प्रदत्त 38 श्रम कानूनों को समाप्त कर चार श्रम कोड मे बदल दिया गया है, जिसके खिलाफ मजदूर वर्ग लगातार संघर्ष कर रहा है। सीटू नेता ने कहा कि मोदी सरकार के कुप्रबंधन के कारण बेड, ऑक्सीजन, दवा नहीं मिलने के कारण कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में हजारों लोगों की जान चली गई। लॉकडाउन के दौरान अमीर और अमीर हो गए, वहीं मिडिल क्लास और गरीब तबके का बुरा हाल हो गया। देश में बढ़ रहे रोजी रोटी के संकट ने गरीबों को भारी परेशानियों में डाल दिया है। मोदी सरकार कोरोना की दूसरी लहर से निबटने में पूरी तरह विफल साबित होने के बाद अब केवल बयान और संदेश जारी कर रही है। भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले सात वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था को खोखला कर जनता के विशाल बहुमत पर भारी मुसीबतों का बोझ डाल दिया है। देश में आजीविका और रोजगार के संकट से उत्पन्न त्रासदी और सार्वजानिक स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पर मोदी सरकार चुप है। आने वाले दिनों में जनविरोधी मोदी सरकार के खिलाफ व्यापक जनांदोलन तैयार करना होगा। कार्यक्रम में मजदूर नेता महेन्द्र तुरी, ऋत्विक पासवान, सूरज कुमार, सौरव कुमार पासवान, अभिषेक कुमार आदि शामिल थे।

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