श्मसान में जुट रही चिताओ को जलाने के लिए लोगों की भीड़, तो दुसरी तरफ दो बजते ही सूनसान हो जाती है गिरिडीह की सड़के
गिरिडीहः
बेकाबू कोरोना की रफ्तार के कारण दो बजते ही बाजारों को बंद करा देती है। तो शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र की सड़के सूनसान हो जाती है। और इलाके को सूनसान कराने भी पुलिस निकल जाती है। अर्थात, कोरोना का खौफ हो या, पुलिस की सख्ती। एक तरफ दोपहर दो बजते ही चारांे तरफ सन्नाटा पसर जाता है। तो दुसरी तरफ गिरिडीह के श्मसान में पिछले कई दिनों से लोगों की सिर्फ लोग ही नजर आ रहे है। अपनों को जलाने के लिए इस श्मसान में हर रोज लोग जुटते है। लेकिन इनमें कोरोना महामारी से होने वाली मौते कितनी है और समान्य मौत कितनी। यह फिलहाल पता लगाना मुश्किल हो रहा है।
क्योंकि शनिवार को जब शहर के श्मसान स्थल पहुंच कर हालात देखने का प्रयास किया गया। तो एक साथ कई कारें खड़ी थी। और पांच शव भी थे, इनमें दो शव एक साथ जल रहे थे। जबकि तीन शव जलती चिताओ के समीप ही जलने की प्रतीक्षा में रखे थे। इस दौरान कुछ के रिश्तेदार श्मसान भूमि में अपनों की चिता जलाने के लिए लकडी भी एकत्रित करते दिखें। पता लगाने पर जानकारी मिली कि शनिवार को कोरोना से एक महिला समेत दो की मौत हुई है। इसमें शहर के बरगंडा की रहने वाली महिला की मौत जहां बदडीहा एएनएम हाॅस्टल स्थित कोविद सेंटर में इलाज के दौरान हुआ। तो शहर के एक कोरोना संदिग्ध व्यक्ति की मौत सदर अस्पताल में उस वक्त हुआ। जब मृतक ने अपना स्वाब जांच के लिए संभवत शुक्रवार को दिया। वहीं दुसरे दिन शनिवार को उसकी तबीयत बिगड़ने के बाद परिजन उसे लेकर सदर अस्पताल पहुंचे। इसे पहले कि उसका इलाज शुरु हो पाता। उसकी मौत हो गई।
इसके बाद दोनों के शव को श्मसान भूमि पहुंचाया गया। जहां कोरोना यौद्धा की पहचान बना चुके पार्षद प्रतिनिधी मिथुन चन्द्रवंशी और राॅकी नवल ने ही दोनों के शव जलाया। लिहाजा, हालात समझे जा सकते है कि एक तरफ जहां कोरोना संक्रमित की मौत पर उनके परिजन भी जब अंतिम संस्कार के रस्मों से खुद को दूर रख रहे है। वहीं दुसरी तरफ यही दोनों कोरोना यौद्धा पीपीई कीट पहन कर हर रोज संक्रमित के शव को जला भी रहे है। बहरहाल, हर रोज श्मसान में पहुंच रहे शव और लोगों की भीड़ यह बताने के लिए काफी है कि गिरिडीह के हालात क्या इशारा कर रहे है।