युवाओं को विवेकशील होना जरूरी: मुनिश्री विशल्य सागर
- अच्छे आभामंडल से पर्यावरण होता है शुद्ध
कोडरमा। कोडरमा पानी टंकी रोड स्थित नया जैन मंदिर में बुधवार को प्रवचन हॉल में जैन संत गुरुदेव 108 विशल्य सागर जी की अमृतवाणी को सुनने के लिए मारवाड़ी युवा मंच और कई सेवा संस्था समूह के सदस्य, युवा महिलाएं पहुंचे। कार्यक्रम की शुरुआत मारवाड़ी युवा मंच के अध्यक्ष आयुष पोद्दार, पूर्व अध्यक्ष, संयोजक रितेश दुग्गड़, अर्जुन शंघई सहित अन्य सदस्यों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। वहीं निवर्तमान पार्षद पिंकी जैन को गुरुदेव के चरण धोने का और शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मौके पर सभी अतिथियों का माला पहनाकर और दुपट्टा पहनाकर स्वागत किया गया। जैन संत ने सभी भक्तों को आशीर्वाद स्वरूप धार्मिक पुस्तक और पेन दीया।
धर्म सभा में युवाओं को अपनी वाणी से आत्मसात कराते हुए जैन संत परम तपस्वी 108 विशल्य सागर जी ने कहा कि युवा रास्ता नहीं जीवन को बदलने का काम करें। अपने अंदर की खराब आदतें और बुराइयों को बदलो, स्वभाव शीतल होना चाहिए, क्रोध से जीवन का सही समाधान नहीं हो सकता, यह हमेशा दुख और बर्बादी का कारण है। परिवार और मित्रों से संबंध विच्छेद का कारण है। युवाओं को विवेकशील होना जरूरी है। आज के युवाओं को अपने दिमाग को ठंडा रखने की आवश्यकता है मनुष्य पर्याय श्रेष्ठ पर्याय है शांति और सुख में बाधक तत्व चंचलता को रोकना आवश्यक है, यही जीवन का पहला पुरुषार्थ है। हमारा यह स्वभाव है कि हमें अच्छाई नजर नहीं आती है परंतु किसी की भी बुराई तुरंत नजर आ जाती है।
चातुर्मास कार्यक्रम के संयोजक सुरेंद्र जैन काला, उपमंत्री नरेंद्र झाझंरी ने कहा कि आप सभी युवा और शहरवासी गुरुदेव की अमृतवाणी को सुनकर अपने जीवन को सफल बनाएं। गुरु ज्ञान की गंगा है और इसी में डुबकी लगाकर ही संसार के दुखों से मुक्ति मिल सकती हैं। मौके पर जैन समाज के पदाधिकारी, जैन महिला समाज की पदाधिकारी, जैन युवक समिति के पदाधिकारी, सदस्यों सहित भक्तजन मौजूद थे।