आम बजट को लेकर गिरिडीह के विपक्ष दलों के नेताओं ने मोदी सरकार पर साधा निशाना, सत्ता पक्ष नेताओं के साथ गिरिडीह के उद्योगपतियों ने बताया दूरगामी परिणाम का बजट
गिरिडीहः
मंगलवार को मोदी सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने कार्यकाल का तीसरा बजट पेश की। डिजिटल करेंसी लांचिग और स्टार्टअप योजना को अगले एक साल तक विस्तार के साथ मैन्यूफैकचरिंग सेक्टर में 60 लाख नई नौकरी की घोषणा जरुर की। बजट पर गिरिडीह के सत्ता पक्ष पक्ष के नेताओं के साथ उद्योगपतियों ने भी सराहा और एक दूरगामी बजट बताया। तो विपक्ष के नेताओं ने बजट को आईवाॅश बताने के साथ सरकारी उपक्रमों को बेंचने वाला बजट बताया। पेश है हर वर्ग की प्रतिक्रियाः
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक अभूतपूर्व बजट पेश की। आत्मनिर्भर भारत के साथ पांच बिलियन इकोनाॅमी का जो सपना पीएम मोदी ने देखा है। ये उसी सपने को मूर्त रुप देने वाला बजट है। क्योंकि किसानों के साथ गरीब वर्ग और 60 लाख नई नौकरी की घोषणा बेरोजगार युवकों में उम्मीद जगाया है तो विपक्ष पर भी तमाचे जड़े।
निर्भय शाहाबादी, पूर्व विधायक, गिरिडीह
साल 2022-2023 के आम बजट पेश कर वित्त मंत्री ने कोरोना काल में एक आत्मनिर्भर भारत की तस्वीर बनाने का प्रयास की। इसे बेहतर बजट और नहीं हो सकता था।
महादेव दुबे, जिलाध्यक्ष, गिरिडीह
सरकारी उपक्रमों को बेंचने वाला बजट पेश कर वित्त मंत्री ने एक बार फिर साबित कर दिया कि मोदी सरकार में जनहित के बजट को पेश करने का विजन नहीं है। क्योंकि टैक्स में कोई राहत नहीं दिया गया। इसेे मध्यमवर्गीय लोगों को भी निराशा ही हाथ लगी है। तो दुसरी तरफ काॅरपोरेट टैक्स को और कम कर मोदी सरकार को जो साबित करना था। वो भी कर दिया।
संजय सिंह, जिलाध्यक्ष, गिरिडीह झामुमो
बजट में खास क्या है यह तो अभी तक समझ नहीं आया। क्योंकि किसानांे को कुछ मिला नहीं। ऐसे में इस बजट को सिर्फ आईवाॅश बजट ही कहना उचित होगा। क्योंकि दो बड़े काॅरपोरेट हाउस अंबानी और अडाणी के इशारों पर बजट तैयार कर पेश किया गया। यह नजर आ रहा है।
नरेश वर्मा, जिलाध्यक्ष, गिरिडीह
महामारी के बीच वित्त मंत्री ने एक अभूतपूर्व साधारण बजट पेश की। इसे अधिक की उम्मीद अभी करना भी सही नहीं होगा। क्योंकि अर्थव्यस्था पटरी पर लाने के लिए यह बजट एक दूरगामी सोच वाला है। डिजीटल करेंसी और 80 लाख नए घरों के निर्माण में 46 लाख का फंड का प्रस्ताव निश्चित तौर पर देश के अर्थव्यवस्था को सुधारने की दिशा में लाया गया बजट है। अब आयरक स्लैब में कोई बदलाव नहीं हुआ। जिसकी फिलहाल कोई जरुरत भी नहीं दिख रहा है। क्योंकि बाजार में पैसा आएगा, तो देश स्वाभाविक तौर पर आर्थिक रुप से तरक्की करेगा।
जयप्रकाश लाल, उद्योगपति सह निदेशक, लाल स्टील, गिरिडीह
साल 2022-2023 के आम बजट को एक दूरगामी सोच वाला बजट कहना उचित होगा। अभी के हालात में वित्त मंत्री ने जो बजट पेश की। उसका सुखद परिणाम आने वाले सालों में नजर आएगा। क्योंकि बड़े निवेश के दरवाजे खोलते हुए वित्त मंत्री ने साढ़े सात लाख करोड़ की घोषणा की। यह अपने आप में एक बेहतर बजट का उदाहरण है। लिहाजा, बजट मंे निगेटिव से अधिक पाॅजिटीव पहलू दिख रहा है।
जोरावर सिंह सलूजा, निदेशक, सलूजा गोल्ड समूह
मोदी सरकार के आने के बाद से देश में लोकलुभावन बजट अब पेश होना बंद हो चुका है। क्योंकि लोकलुभावन बजट से कुछ हासिल होता नहीं था। लिहाजा, इस बार का बजट उम्मीदों भरा ही कहा जा सकता है। हर बार टैक्स स्लैब के दायरे को कम करना संभव नहीं है। क्योंकि मुफ्त राशन और सड़क निर्माण के साथ आधारभूत संरचना के विकास के लिए पैसों की जरुरत पड़ती है। वो तभी संभव है जब देशहित में बजट बनेगा। इसे भी बढ़कर जब मु्फ्त की योजना बंद होगी, तो और देश आर्थिक तरक्की के रास्ते पर पहुंचेगा।
डा. गुणवंत सिंह मोंगिया, सीएमडी, मोंगिया स्टील समूह,
बजट एक समर्पित और देश के समृद्ध विकास को पूरा करने वाला बजट है। एक सकरात्मक उम्मीद के साथ साल 2022-2023 के बजट को पेश किया गया। आत्मनिर्भर भारत का जो नींव पीएम मोदी ने रखा है। वो इस बजट में दिख रहा है।
राजकुमार राज, लोजपा, राष्ट्रीय महासचिव, सह लोजपा नेता, गिरिडीह
साल 2022-2023 के आम बजट को लेकर जिस प्रकार किसानों के साथ मध्यमवर्गीय परिवारों ने उम्मीद लगाएं रखा था। वह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट में दिखा भी। क्योंकि आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया। महामारी के बीच अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने में यह फैसला साहसिक साबित होगा।
सुरज गुप्ता, निदेश, टफकाॅन स्टील समूह,