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तिसरी के थानसिंहडीह-नारोटांड के जंगल में संचालित अवैध आरा मिलों पर गिरिडीह वन विभाग ने किया कार्रवाई

लाखों रुपये मूल्य के सखुआ, शीशम और सलाईया की लकड़ी जब्त

गिरिडीहः
नक्सल प्रभावित तिसरी के लोकाय थाना क्षेत्र के नारोटांड-थानसिंहडीह गांव के जंगल में गिरिडीह वन प्रमंडल ने बुधवार को बड़ा कार्रवाई किया। दोनों गांवो के जंगल में संचालित करीब आधा दर्जन आरा मिलों को तोड़ा गया। और इन मिलों से सलाईया और सखुआ के साथ शीशम की लकड़ियों को जब्त किया है। जब्त लकड़ियों की कीमत लाखों रुपये का बताया जा रहा है। जिनसे घर के सजावट के समानों के साथ मंहगे सोफा, पंलग, चाौकी, कुर्सी और टेबुल बनाएं जाते है। तिसरी वन विभाग के पदाधिकारी और कर्मियों ने पूरी कार्रवाई तीन घंटो तक अंजाम दिया। वन विभाग के पदाधिकारियों की यह कार्रवाई तिसरी बीडिओ सुनील प्रकाश के मौजूदगी में हुआ। पूरा इलाका नक्सल प्रभावित होने के कारण वन प्रमंडल की दो टीमें नारोटांड और थानसिंहडीह गांव के जंगल में पहुंची। जहां वन विभाग के वनरक्षी अभिमीत राय, पवन विश्वकर्मा, अशोक यादव, प्रियेश विश्वकर्मा के साथ लोकाय थाना प्रभारी भी पुलिस जवानों के साथ मौजूद थे। इस दौरान दोनों गांव के बीच के जंगल में संचालित आधा दर्जन आरा मिलों को एक-एक कर जेसीबी से तोड़ा गया। मिल के भीतर आरा मशीन क्षतिग्रस्त किए गए। तो हर मिल के भीतर सलाईया, शीशम और सखुआ के बड़े-बड़े पेड़ काटकर रखे गए थे। जिन्हें डिमांड के अनुसार छोटा कर फर्नीचर दुकान तक पहुंचाना था। इस दौरान जहां आधा दर्जन मिलों से इन पेड़ो के लकड़ियों को करीब दर्जन भर ट्रैक्टर में जब्त कर वन विभाग के कार्यालय पहुंचाया गया। वहीं कार्रवाई के दौरान वन विभाग के कर्मियों को जानकारी मिली कि सभी आरा मिल कई महीनों से अवैध रुप से चल रहे थे। इन आरा मिलों में 20 दिन पहले भी कार्रवाई किया गया था। वहीं 20 दिनों बाद जब वन विभाग की टीम पहुंची। तो जंगल में आरा मिल पहले की तरह संचालित होते दिखें। हालांकि कार्रवाई के दौरान स्पस्ट नहीं हुआ कि इन अवैध आरा मिलों का संचालक कौन था। लेकिन वन विभाग की टीम हर आरा मिलों के संचालकांे का पता लगाने में वन विभाग की टीम जुटी हुई है।

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