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दुष्कर्म के आरोप में गिरिडीह केन्द्रीय जेल में बंद अर्जुन यादव की मौत को लेकर परिजनों ने किया हंगामा

  • जेल प्रशासन पर लगाया आरोप, डीसी ने दिए मजिस्टेªट जांच के आदेश

गिरिडीह। दुष्कर्म के आरोप में गिरिडीह जेल में बंद भेलवाघाटी के रहने वाले अर्जुन यादव की गुरुवार को हुई मौत के मामले में जेल प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठने लगे है। गुरुवार की देर रात सदर अस्पताल में मृतक के शव का पोस्टमार्टम होने के बाद परिजनों ने खुब हंगामा किया। इस दौरान परिजनों के द्वारा मृतक के साथ जेल में मारपीट होने सहित कई आरोप लगा रहे थे। इस दौरान मामले की जानकारी मिलने के बाद जहां जमुआ विधायक केदार हाजरा, भाजपा नेता दिनेश यादव, चुन्नुकांत्त, माले नेता राजेश यादव व राजेश सिन्हा सहित कई जनप्रतिनिधि सदर अस्पताल पहुंचे हुए थे। वहीं परिजनों के द्वारा हंगामा किए जाने की सूचना मिलने के बाद सदर एसडीएम यशवंत विषपुते, मुफ्फसिल थाना प्रभारी श्याम किशोर महतो भी दल बल के साथ सदर अस्पताल पहुंचे और परिजनों को समझाने की कोशीश की। हालांकि परिजनों द्वारा बार बार अर्जुन यादव के साथ जेल में मारपीट किए जाने व प्रताड़ित करने का आरोप लगा रहे थे।

भेलवाघाटी के रहने वाले अर्जुन यादव पिछले पांच माह से दुष्कर्म के आरोप में गिरिडीह जेल बंद था। गुरुवार को अचानक उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी। जिसके बाद जेल अधीक्षक के निर्देश पर पहले जेल के चिकित्सकों ने उसे देखा फिर सदर अस्पातल भेज दिया। सदर अस्पताल में उसकी गंभीर हालत को देखते हुए चिकित्सकों ने उसे आईसीयु में भर्ती कर दिया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। हालांकि मृतक के गले में भी निशान देखे गए। जिसके बाद परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया था। इधर उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा ने मामले में देर रात मजिस्ट्रेट जांच का आदेश दिया। साथ ही जिला प्रशासन द्वारा मृतक के अंतिम संस्कार के लिए 50 हजार रूपये भी परिजनों को दिया गया। जिसके बाद रात के करीब एक बजे परिजन अर्जुन यादव के शव को लेकर गए।

जेल प्रशासन सूत्रों की माने तो अर्जुन यादव भेलवाघाटी थाना पुलिस द्वारा दुष्कर्म के आरोप में पांच माह पहले जेल भेजा गया था। इस दौरान कई बार मृतक अर्जुन यादव जेल में रहकर आरोप लगाने वाली पीड़िता को बहला फुसलाकर कर केस उठाने का दबाव डाल रहा था। इस बात की जानकारी जब जेलर को हुई तो उसने अर्जुन यादव को इसके लिए डांटा भी था। साथ ही कहा था की जब उसका जमानत होने वाला है तो पीड़िता पर दबाव क्यों डाल रहा है। वहीं परिजनों के आरोपों को जेल अधीक्षक हिमानी प्रिया ने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि अर्जुन से मिलने कई बार उसके परिजन आए थे, लेकिन उसने परिजनों को तो कुछ नहीं बताया था। बहरहाल, अब मामले में परिजनों से लेकर अधिकारियों तक को मजिस्ट्रेट जांच और पोस्टमार्टम के रिपोर्ट का इतंजार है की आखिर अर्जुन यादव की मौत किस कारण से हुई।

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