माइका खदान धंसने की घटना के दुसरे दिन भी नहीं निकाला गया मजदूरों का शव, नहीं पहुंची एनडीआरएफ की टीम
माइका माफियाओं की पहचान कर चार के खिलाफ खनन पदाधिकारी ने दर्ज कराया केस
केस दर्ज होने के बाद भी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई से हिचकती है इलाके की पुलिस
गिरिडीहः
गिरिडीह के तिसरी प्रखंड के लोकायनयनपुर थाना क्षेत्र के सकसोकिया जंगल स्थित माइका खदान के धंसने की घटना के दुसरे दिन बुधवार को भी मजदूरों का शव बाहर नहीं निकल पाया। तिसरी वन विभाग जहां एक तरफ एनडीआरएफ का इंतजार करती रही। लेकिन एनडीआरपीएफ की टीम नहीं पहुंची। लिहाजा, अब टीम के गुरुवार को पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। जबकि दुसरे दिन ही घटनास्थल में खोरीमहुआ एसडीएम धीरेन्द्र कुमार सिंह, खनन पदाधिकारी सतीश नायक, डीएसपी संतोष मिश्रा समेत कई पदाधिकारी पहुंचे। और घटनास्थल का जायजा लिया। शवों के निकलने की प्रतीक्षा मजदूरों के परिजन करते रहे। तिसरी के मंशाडीह के सकसोकिया जंगल में जिस माइका खदान के धंसने से दो मजदूरों की मौत हुई है। उसमें तिसरो के संगीत राणा और रंजीत राय शामिल है। इसमें एक मजदूर संगीत राणा के पिता बालेशवर रााणा ने आरोप लगाते हुए उनका बेटा महज 150 रुपये की मजदूरी के लिए इलाके के माइका माफियाओं के कहने पर खदान में घुसता था। लेकिन कोई माइका माफिया अब तक घटनास्थल नहीं पहुंचा है। जो उसके परिजनों को देखने सामने तक नहीं आया।

दुसरे दिन अधिकारियों के जांच के दौरान खदान के चार मालिकों का नाम सामने आया। जिसमें कारु बरनवाल, शैलेन्द्र बरनवाल, पिंटू बरनवाल और मुन्ना बरनवाल शामिल है। लिहाजा, माइका खदान के धंसने के बाद इलाके के जिन माइका माफियाओं का नाम सामने आया। उस आधार पर खनन पदाधिकारी सतीश नायक के आवेदन के आधार पर इन चारों माफियाओं के खिलाफ माइका के अवैध खदान संचालित करने के आरोप में केस तो दर्ज कर लिया गया। लेकिन सवाल सिर्फ केस दर्ज करने तक सीमित नहीं है। बल्कि, इलाके की पुलिस मामले की जांच और अनुसंधान करने की बात कर यही तक सीमित कर देती है। ना तो स्थानीय पुलिस ऐसे माफियाओं के खिलाफ कोई कार्रवाई ही करती है। और ना ही ऐसे माफिया पुलिस के हत्थे चढ़ते है। जिसका परिणाम है कि अक्सर तिसरी प्रखंड के अलग-अलग माइका खदानों में इन माफियाओं के अवैध कमाई के कारण स्थानीय मजदूरों को अपनी जान गंवाना पड़ता है।