गावां के सीमावर्ती क्षेत्रों में पुनः शुरू हुआ जहरीली शराब का कारोबार
- उत्पाद व पुलिस विभाग को बड़े कार्यवाही करने की आवश्यकता
- कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होने के कारण ही जहरीली शराब के कारोबार में जूट जाते है माफिया
गिरिडीह। जिले के गावां थाना क्षेत्र के सीमावर्ती सह सुदूरवर्ती क्षेत्र गारहीसांख, डुमरझारा, बरमसिया, खेसनरो आदि जगहों पर शराब माफिया पुनः सक्रिय हो गए हैं और वे धडल्ले से जहरीली महुआ शराब का निर्माण कर इसे गावां, तिसरी, सतगावां व बिहार राज्य में भेज रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि गावां थाना क्षेत्र में संचालित लगभग होटलों में इन शराबों व अंग्रेजी शराबों को भी खपाया जा रहा है।
बता दें कि इन इलाकों में पुलिस व उत्पाद विभाग द्वारा कई बार कार्यवाही किया गया है। एक दो शराब भट्ठियों को तोड़े जाने की वजह से दर्जनों शराब भट्ठियों के मालिक कुछ दिन के लिए अपने कार्य की गति धीमी कर दिए थे जो कि अब पूरी तरह से सक्रिय हो चुका है।
बताते चलें कि आम ग्रामीणों से लेकर कई छोटे बड़े महुआ शराब कारोबारियों के बीच में यह बात की चर्चा रहती है कि जब भी कोई नया पदाधिकारी आते है तो इन शराब माफियाओं से सांठ गांठ करने के लिए खानापूर्ति युक्त कार्यवाही किया जाता है। सांठ गांठ हो जाने के बाद पूरे धडल्ले से इसका उत्पाद व बिक्री किया जाता है।
भट्ठियों के आसपास के क्षेत्रों व छोटे बड़े कारोबारियों से जब इन शराब माफियाओं के बारे में जानकारी लिया गया तो उन्होंने नाम नहीं छापने की स्तिथि में सोमर साव, मुन्ना साव, राजकुमार साव, दिवाकर साव, लखन साव, मुखदेव राय, उपेंद्र साव आदि के बारे में बताया। इसके साथ ही उन्होंने यह भी जानकारी दी की ज्यादातर यह माफिया अपने जहरीले महुआ शराब को गावां, मंझने, आमतरो, हरदिया, पिहरा बरमसिया, शिजुआई, लोकाय, तिसरी आदि के रास्तों से सप्लाई करते हैं।
इस संबंध में जब भी गावां पुलिस से बातचीत की जाती है या जानने का प्रयास किया जाता है तब उनके द्वारा सीमित फोर्स होने का बहाना बना कर या फिर लोकाए व तिसरी थाना क्षेत्र में होने की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया जाता है।
आखिर ऐसे में सवाल यह उठता है कि कई बार कार्यवाही होने के बावजूद शराब माफिया पुनः क्यों सक्रिय होते जा रहे हैं? आखिर क्यों सिर्फ भट्ठियों को तोड़ा जाता है उन्हे गिरफ्तार करने में गावां, तिसरी व लोकाय पुलिस क्यों नाकामयाब है और क्यों उनके खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा रही है। अगर पूरी बातों को गहराई में जाकर देखा जाए तो पुलिस व उत्पाद विभाग की भूमिका संदिग्ध मिलेगी।