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27 सितंबर के भारत बंद को लेकर गिरिडीह में विपक्षी दलों ने किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों के साथ किया प्रेसवार्ता

बंद समर्थकों ने प्रतिष्ठान मालिकों और भाजपाईयों को दिया अल्टीमेटम, उलझने पर होगी परेशानी

गिरिडीहः
27 सितंबर को आहुत देशव्यापी बंद को लेकर शुक्रवार को गिरिडीह में चार राजनीतिक दलों के साथ किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने प्रेसवार्ता किया। शहर के परिसदन भवन में हुए प्रेसवार्ता में कांग्रेस जिलाध्यक्ष नरेश वर्मा, कांग्रेस नेता अजय सिन्हा मंटु, उपेन्द्र सिंह, राजद नेता गिरेन्द्र यादव, भाकपा माले नेता राजेश सिन्हा, एनसीपी नेता शत्रुध्न मिश्रा, संयुक्त किसान मोर्चा के विश्वनाथ सिंह, किसान महासभा के रामदेव विश्वबंधु भी शामिल हुए। ज्वांईट प्रेसवार्ता के दौरान राजनीतिक दलों और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ देशव्यापी बंद हर हाल में सफल होगा। ऐसे में प्रतिष्ठान मालिकों के साथ वाहन मालिकों से भी अपील रहेगी कि किसानों और मंहगाई के मुद्दे पर वो अपना प्रतिष्ठान और वाहन बंद रखे। प्रेसवार्ता के दौरान माले नेता राजेश सिन्हा ने भाजपा के नेताओं को जहां खुलेतौर पर अल्टीमेटम देते हुए कहा कि बंद के दिन बंद समर्थक रोड पर रहेगें। लिहाजा, बंद समर्थकों से उलझने पर भाजपाईयों और प्रतिष्ठानों मालिकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। कांग्रेस अध्यक्ष नरेश वर्मा ने मौके पर कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा का यह बंद किसानों के हित से जुड़ा है। ऐसे में 26 सितंबर को मशाल जुलूस के दुसरे दिन 27 सितंबर को बंद समर्थक रोड पर उतरेगें। तो 29 सितंबर को जिला मुख्यालय में धरना भी किया जाएगा।
किसान मोर्चा के प्रतिनिधी विश्वनाथ सिंह ने कृषि बिलों की खामियां बताते हुए कहा कि जब मोदी सरकार के उद्देश्य साफ थे, तो फिर आवश्यक वस्तू अधिनियम में संशोधन क्यों किया गया। जाहिर है कि इसमें संशोधन कर मोदी सरकार काॅरपोरेट घरानों को फायदे पहुंचाने के प्रयास में है। इन बिलों से काॅरपोरेट सेक्टर अब किसानों से अनाज खरीद कर बड़े पैमाने पर स्टाॅक कर सकती है। फिर तो मंहगाई का बढ़ना रहेगा। इधर प्रेसवार्ता में नेसाब अहमद, सद्दाम हुसैन, मरगूब आलम, महमूद अली खान लड्डु समेत कई नेता मौजूद थे।

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