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नहीं निकला रथ यात्रा, श्रद्धालु गिरिडीह में भगवान जगरन्नाथ समेत तीनों की मूर्तियों लेकर पहुंचे मौसीबाड़ी

गिरिडीहः
कोरोना के दुसरी लहर के कारण सोमवार की रथ यात्रा इस बार भी फीकी ही रही। शहर में ना तो रथ यात्रा का भव्य जुलूस निकला। और ना ही रथ निकला। लेकिन गिरिडीह शहर के सीएमआर रोड स्थित पुरातन शिवालय में भगवान जगरन्नाथ समेत बहन सुभ्रदा और भाई बलभद्र की पूजा-अर्चना के उत्साह और भक्ति में कोई कमी नहीं रहा। पुरातन शिवालय से ही भगवान जगरन्नाथ समेत तीनों भाई-बहनों के प्रतीक काष्ठ की मूर्तियों को दीपक यादव, सुशील सुराना, राजेन्द्र लाल बरनवाल, अमित मिश्रा, नागेन्द्र मिश्रा, कृष्णा कुमार समेत कई श्रद्धालु सिर पर लिए निकले। गाजे-बाजे के साथ निकले इस पैदल यात्रा में पुरातन शिवालय के पुजारी सतीश मिश्रा के अगुवाई में काफी संख्या में भक्तों ने हिस्सा लिया। और इसी क्षेत्र का भ्रमण कर गांधी चाौक स्थित छोटकी दुर्गा मंडप पहुंचे। जिसे मौसीबाड़ी का स्वरुप देते हुए तीनों के मूर्तियों को आठ दिनों के लिए एकांतवाश में रखा। मौसीबाड़ी में मूर्तियों को रखने के बाद श्रद्धालुओं ने वहां उनकी आरती भी की।


आषाढ़ शुक्ल द्वितीय के मौके पर होने वाले रथ यात्रा को लेकर पुरातन शिवालय में पुजारी सतीश मिश्रा के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भगवान जगरन्नाथ समेत तीनों के मूर्तियों की पूजा-अर्चना की गई। फल-फल और पूजन सामग्री के साथ श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना किया। तो भगवान जगरन्नाथ समेत तीनों भाई-बहनों से विश्व शांति का मनोकामना भी किया। पुरातन शिवालय में भी कोरोना को देखते हुए श्रद्धालुओं की भीड़ कम ही रखी गई थी। लेकिन पुरातन शिवालय में भी गाजे-बाजे के बीच श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना किया। पूजा-अर्चना में भी पुजारी के अलावे सुशील सुराना, दीपक यादव, राजेन्द्र लाल बरनवाल समेत अन्य श्रद्धालु शामिल हुए। इस दौरान पूजा-अर्चना के बाद भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया।

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