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प्राइवेट ट्यूशन पढ़ाने वाले शिक्षकों को नही मिली राहत

  • सरकार के निर्देश के इंतिजार में बंद है सभी कोचिंग, संचालकों की स्थिति दयनीय
  • सदर विधायक से मिलने पहंचे एप्टा के प्रतिनिधि, नही हुई मुलाकात
  • प्राइवेट ट्यूशन पढ़ाने वाले शिक्षकों को सरकार दें विशेष भत्ता: राजेश सिन्हा

गिरिडीह। कोरोना संक्रमण के बीच भले ही एक जुलाई से झारखंड सरकार द्वारा करीब करीब सभी व्यवसायिक प्रतिष्ठान को नियम के तहत सुबह से लेकर रात आठ बजे तक खोलने का आदेश दे दिया गया है। लेकिन शिक्षण संस्थाना व प्राइवेट ट्यूशन वालों को कोई राहत नही दी गई है। जिससे कोचिंग संस्थान चलाने वाले शिक्षकांे में खासी नाराजगी है। इसी बीच गुरुवार को ऑल प्राइवेट टीचर एसोसिएशन (एप्टा) के प्रतिनिधि सदर विधायक से मिलने उनके आवासीय कार्यालय गये। लेकिन विधायक के रांची जाने के वजह से मुलाकात नही हो पाई।

मौके पर उपस्थित एप्टा के अध्यक्ष व करियर कैंपस के निदेशक राजेश सिन्हा तथा एप्टा के सचिव नागेंद सिंह ने कहा कि लाॅकडाउन के वजह से छोटे छोटे प्राइवेट शिक्षण संस्थानों व कोचिंग सेंटर के संचालकों की स्थिति काफी खराब हो गई है। अपनी बातों को सरकार तक पहुंचाने के लिए पांच दिन पूर्व संगठन से जुड़े कई शिक्षक सदर विधायक से मिले थे। उस वक्त उन्होंने सरकार के दिशा निर्देश के बाद एक जुलाई को मिलने की बात कही थी। कहा कि एप्टा के प्रतिनिधि और जाने माने शिक्षकगण व निदेशक एक नई इनर्जी के साथ सदर विधायक से मिलने पहुँचे लेकिन उनके बाहर रहने के कारण मुलाकात नही हो पाई।

श्री सिन्हा ने कहा कि सरकार को प्राइवेट टीचर के विषय पर भी ध्यान देना चाहिए। आय का साधन एक ही है, सब की स्थिति बद से बत्तर हो गई है। मध्यमवर्गीय परिवार रहने के कारण कोई सुवीधा भी नही है। सरकार को चाहिए कि सीनियर पढ़ाने वाले को कोरोना गाईड लाइन को ध्यान में रखकर कोचिंग सेंटर खोलने के आदेश देना चाहिए था। कहा कि अगले आदेश तक अगर सरकार द्वारा ध्यान नही दिया गया तो लोकतांत्रिक तरीके से सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे। इस दौरान उन्होंने सरकार से सभी प्राइवेट टीचर को सरकार प्रत्येक महीने भत्ता के रूप में दस हजार दें।

मौके पर मनोज यादव, मिंटू कुमार,सादर दुबे, चक्रम कुमार, सचिव सूरज नयन, मो आफताब, शंकर कुमार, राकेश सिंह, अजय मंडल, धीरज कुमार, सुबोध कुमार, प्रणव मिश्रा, चंचल मिश्रा और रविंद्र विद्यार्थी सहित अन्य कई शिक्षक मौजूद थे।

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