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जरुरत नहीं फिर भी कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए रैमडसीविर का दबाव बना रहे गिरिडीह के चंद प्राईवेट हाॅस्पीटल

मनोज कुमार पिंटूः गिरिडीहः
जीवन रक्षक दवाई रैमडीसीविर का कालाबाजारी हो रही है या नहीं। यह फिलहाल स्पस्ट नहीं है। लेकिन गिरिडीह जिले के कई प्राईवेट नर्सिंग होम में इलाजरत संक्रमितों के इलाज के दौरान परिजनों को रैमडीसीविर देने का दबाव बनाया जा रहा है। इसकी जानकारी स्वास्थ विभाग को भले नहीं हो। लेकिन संक्रमितों को प्राईवेट हाॅस्पीटल में इस इंजेक्शन को दबाव बनाया जा रहा था। यह बातें सरकारी कोविद सेंटर में इलाजरत मरीजों के परिजनों के बीच से ही निकल कर सामने आई है। जो चंद दिनों पहले तक प्राईवेट नर्सिंग होम में इलाज करा रहे थे। तो हालात खराब होने के बाद यही संक्रमित जब सरकारी कोविद सेंटर इलाज के लिए पहुंचे। तो उनके परिजनों द्वारा यह बात बताई गई। जानकारी के अनुसार दो संक्रमितों का इलाज शहर के एक प्राईवेट हाॅस्पीटल में चल रहा था। इस दौरान एक संक्रमित के परिजन को हर दुसरे-तीसरे दिन इस इंजेक्शन देने की बात कही जा रही थी। लेकिन हालात अधिक खराब रहने के बाद इसी संक्रमित के परिजन जब उसे सरकारी कोविद सेंटर में इलाज के लिए भर्ती कराया। जहां इलाज के क्रम में स्थिति समान्य हुई। तो संक्रमित परिजन के बीच से यह बातें निकल कर सामने आई कि उन्हें रैमडीसीविर इंजेक्शन लाने को कहा जा रहा था।
जबकि आईसीएमआर ने पहले ही निर्देश जारी कर दिया था कि इस इंजेक्शन का इस्तेमाल कोरोना के बेहद क्रिटिकल हालात के संक्रमितों को लगाया जाना है। इस दौरान सिविल सर्जन डा. सिद्धार्थ सन्याॅल का भी कहना है कि रैमडीसीविर हर कोरोना संक्रमित को नहीं लगाना है। इसका इस्तेमाल वैसे संक्रमितों पर किया जाना है। जिसकी हालत बेहद खराब है। लेकिन कुछ प्राईवेट हाॅस्पीटलों में ऐसा होता दिख नहीं रहा है। संक्रमित को देने के लिए परिजनों पर रैमडीसीविर इंजेक्शन लाने के दबाव का मूल कारण तो फिलहाल सामने नहीं आया है। लेकिन चंद प्राईवेट हाॅस्पीटलों के इस दबाव का शिकार फिलहाल कई लोग बेवजह हो रहे है।
वैसे रैमडीसीविर इंजेक्शन को लेकर एक सच्चाई यह भी है कि यह इंजेक्शन सुविधानुसार उपलब्ध भी नहीं है। जरुरत पड़ने पर अब तक स्वास्थ विभाग द्वारा ही संक्रमित के परिजनों को उपलब्ध कराया जाता रहा है। क्योंकि अलग-अलग कंपनियों के रैमडीसीविर के इंजेक्शन का सरकारी दर भी तय है। जानकारी के अनुसार हेट्रो हेल्थ केयर कंपनी के रैमडीसीविर इंजेक्शन का दर तीन हजार 490, तो सिप्ला कंपनी के रैमडीसीविर इंजेक्शन का दर 3400 सौ के करीब है। जबकि डा. रेड्डी कंपनी के इंजेक्शन का दर 2700 सौ के करीब है। वहीं बायोटेक कंपनी के इंजेक्शन का दर 2250 तो कैडिला कंपनी के रैमडीसीविर का दर 899 के करीब है।

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