नाकामियों का टैग लग चुके गिरिडीह पुलिस हत्याओं का खुलासा कर पाने में नाकामः विभाकर पांडेय
दो हत्याकांड में अपराधियों तक पहुंचने में नाकाम मुफ्फसिल थाना पर बजरंग कृपा संघ ने निकाला भड़ास
मुस्कान की हत्या हुई है, लेकिन पुलिस ने जबरन अपने इच्छानुसार लिखवाया आवेदनः दिनेश पांडेय
गिरिडीहः
गिरिडीह पुलिस की नाकामी और सुस्ती कई अपराधिक मामलों में उद्भेदन नहीं होने के कारण सार्वजनिक हो चुका है। नाकामी का टैग लग चुके मुफ्फसिल थाना समेत गिरिडीह पुलिस पर से यह टैग उतरेगा कब। यह तो फिलहाल भविष्य के गर्भ में है। लेकिन अपने उपर लगे नाकामी के टैग को उतारने के प्रति खुद पुलिस भी गंभीर नहीं दिख रही है। यहां तक सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधी भी पुलिस पर लगे इस टैग को उतारने की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं कर रहे है। लगातार हुए हत्या का उद्भेदन करने में नाकाम ने लोगों को मुफ्फसिल थाना समेत गिरिडीह पुलिस के खिलाफ सड़क पर उतरने को मजबूर कर दिया। इधर रविवार को प्रेसवार्ता कर बजरंग कृपा संघ के संयोजक विभाकर पांडेय, उपसंयोजक सुमित कुमार समेत अन्य पदाधिकारी गिरिडीह पुलिस की नाकामी पर कड़ा प्रहार किया। प्रेसवार्ता कर संयोजक पांडेय ने मुफ्फसिल थाना इलाके में हुए रंजीत साव हत्याकांड, मुस्कान हत्याकांड में फरार अपराधियों को पकड़ने को लेकर पुलिस के रवैये पर सवाल उठाया। जबकि अहिल्यापुर में जलसहिया के साथ मुखिया मजहरुद्दीन द्वारा किए गए शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के मामले में केस दर्ज होने के बाद भी आरोपी मुखिया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने पर पुलिस पर गुस्सा निकाला। हिंदु संगठन बजरंग कृपा संघ के आंदोलन की रणनीति बताते हुए संयोजक ने कहा कि प्रेसवार्ता में हत्याकांड के पीड़ितों के परिजन भी मौजूद है। और अब 19 जनवरी को शहर के अबेंडर चाौक में संगठन महाधरना कर सोए हुए पुलिस के नींद को तोड़ेगी।
संयोजक ने कहा कि नाकामी का टैग अब शायद गिरिडीह पुलिस खुद उतार सकें। क्योंकि रंजीत साव हत्याकांड मामले में पुलिस बार-बार सिर्फ झूठे दावे कर रही है कि जल्द कुर्की जब्ती का वांरट कोर्ट से लिया जाएगा। लेकिन पुलिस को यह वांरट कब मिलेगा। यह फिलहाल स्पस्ट नहीं है। यही हाल मुस्कान हत्याकांड का भी है। क्योंकि बीतें पांच दिसबंर को मुस्कान की हुए मौत को अब तक मुफ्फसिल थाना स्पस्ट नहीं कर पाई। कि मामला संदिग्ध मौत का है या हत्या का। पोस्टमार्टम रिपोर्ट को भी पुलिस ने परिजनों तक नहीं दिखाया। यही नही मुस्कान के बिसरा को ही पुलिस ने घटना के करीब 15 दिनों बाद जांच के लिए विधी-विज्ञान प्रयोगशाला भेजा।
मुस्कान का शव मिलने के बाद पुलिस ने परिजनों पर अपने मन से एफआईआर के लिए आवेदन लिखने का भी दबाव डाला। यह आरोप भी छात्रा मुस्कान के पिता दिनेश पांडेय ने पुलिस पर लगाया है। वैसे परिजनों का यह भी आरोप है कि उनकी बेटी जिस कोंचिग में पढ़ाई करती थी। उस कोेंचिग के शिक्षक पप्पू का आना-जाना लगा रहता था। लेकिन मुस्कान ने शिक्षक पप्पू के नहीं आने की अपील भी की। पिता दिनेश का यह भी आरोप है कि जिस वक्त उनकी बेटी रहने वाले मकान से कोचिंग के लिए निकली। उसी वक्त कृष्णा चाौधरी, सुमन मंडल और अरविंद चाौधरी का मोबाइल स्वीच आॅफ था। इसे जाहिर है कि तीनों ने साजिश कर उनकी बेटी मुस्कान की हत्या कर दिया। इसके लिए मुस्कान को तीनों ने ही बाईक से शीतलपुर थी पहुंचाया। जहां पेड़े में उनकी बेटी का शव लटकता हुआ मिला था। लेकिन अपनी नाकामी को छिपाने के लिए मुफ्फसिल थाना पुलिस ने मामले को सुसाईड बताने का प्रयास किया। लिहाजा, नाकामियों के कारण फिलहाल गिरिडीह पुलिस के होते छीछालेदर ने वरीय अधिकारी तक को चुप रहने पर मजबूर कर दिया।